संवाददाता, पटना
शहर के गांधी मैदान इलाके की हवा पिछले एक सप्ताह से जहरीली बनी हुई है. शुक्रवार को गांधी मैदान इलाके का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) दिल्ली से भी अधिक रही. शुक्रवार को गांधी मैदान इलाके एक्यूआइ 430 दर्ज किया गया, पिछले सात दिनों में सबसे अधिक है. वहीं, दिल्ली का एक्यूआइ 262 रहा. इसके अलावा भुवनेश्वर में भी एक्यूआइ 241 दर्ज किया गया.
धूलकण की मात्रा भी अधिक : गांधी मैदान व आस-पास के इलाके में धूलकण के मात्रा में भी अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गयी. इलाके में पीएम-2.5 348, पीएम-10 500 और कार्बन मोनोऑक्साइ की मात्रा 64 दर्ज की गयी. इसके अलावा डाकबंगला इलाके में एक्यूआइ 271, पीएम-2.5 329, पीएम-10 482 और कार्बन मोनोऑक्साइड सूचकांक 146 दर्ज किया गया. इसके अलावा शहर के समनपुरा इलाके की हवा की गुणवत्ता स्तर भी काफी खराब दर्ज की गयी. समनपुरा इलाके का एक्यूआइ 337, पीएम-2.5 465, पीएम-10 463 और कार्बन मोनोऑक्साइड सूचकांक 164 दर्ज किया गया. हालांकि, दानापुर और राजवंशी नगर इलाके में एक्यूआइ पिछले दिनों के मुकाबले बेहतर दर्ज किया गया. दानापुर इलाके में एक्यूआइ 231 और राजवंशी नगर इलाके का एक्यूआइ 233 दर्ज किया गया.
पर्यावरणविद के मुताबिक गांधी मैदान इलाके में चल रहे निमार्ण कार्य और अधिक ट्रैफिक होने की वजह से हवा में धूलकण की मात्रा अत्याधिक बढ़ रही है. गांधी मैदान इलाके में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर की मुख्य वजह निर्माण कार्यों के लिए जरूरी मानकों की अनदेखी प्रमुख है. बिहार राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने बताया कि गांधी मैदान इलाके में चल रहे सड़क निर्माण कार्य में जरूरी मानकों जैसे ग्रीन नेट, स्लैब बैरिकेड, मालवाहक वाहनों के बिना ढके संचालन और अनलोडिंग के बाद पहियों को नहीं धोने से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा शहर के गांधी मैदान इलाके में ट्रैफिक और अधिक फुट फॉल भी प्रदूषण के कारक हैं. इसके साथ ही समनपुरा में भी बड़ी वाहनों के संचालन और अत्यधिक ट्रैफिक से हवा में धूलकण की मात्रा अधिक दर्ज की जा रही है. उन्होंने बताया कि शहर की मिट्टी ठोस नहीं होने से भी धूलकण की मात्रा इस मौसम में अधिक हो जाती है. इसके साथ ही इस मौसम में थर्मल इंवर्जन की वजह से भी वायुमंडल में धूलकण की मात्रा इक्कठी होने लगती है. निमाेनिया के मरीज बढ़े, खांसी ठीक होने में लग रहे तीन सप्ताह संवाददाता, पटना
तापमान में गिरावट और प्रदूषण का बढ़ता स्तर शहर के लोगों के स्वास्थ्य को काफी प्रभावित कर रहा है. डॉक्टरों की मानें, तो इससे लोगों में रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और निमोनिया की समस्या देखने को मिल रही है. उन्हें सर्दी, खांसी, कफ और बुखार का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, बुखार से लोग 4-5 दिन में उबर रहे हैं, लेकिन खांसी ठीक होने में तीन सप्ताह का समय लग रहा है. इस तरह के केस शहर के आइजीआइएमएस, एम्स, एनएमसीएच और पीएमसीएच समेत अन्य सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में आ रहे हैं. डॉक्टरों के अनुसार, प्रदूषण के कारण थकान, मूड स्विंग, आलस और मानसिक तनाव जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं. ऐसे में इस मौसम में अपनी सेहत का ख्याल रखना और प्रदूषण से बचने के उपाय करना बेहद जरूरी है. पीएमसीएच मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि नवंबर से लेकर फरवरी तक रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन की समस्या काफी बढ़ जाती है. इस दौरान ठंड रहती है और प्रदूषण के कण तत्व (पीएम) वायुमंडल में बने रहते हैं. यह घातक कण तत्व फेफड़ों को प्रभावित करते हैं. फिलहाल लोगों में निमोनिया की समस्या काफी बढ़ गयी है और इसके पीछे प्रदूषण एक बड़ा कारण है. 30 फीसदी लोग कफ और खांसी की समस्या लेकर अस्पताल आ रहे हैं. खांसी और कफ की समस्या लंबे समय तक इसलिए होती है कि इन्फेक्शन के कारण एयरवे ब्लॉक हो जाती है. जब तक वह खुल नहीं जाती, समस्या बनी रहती है. ऐसे करें बचाव मास्क पहनें
प्रदूषण है, तो मॉर्निंग वॉक के लिए देरी से जाएं
घर में एयर प्यूरीफायर है, तो उसका उपयोग करें
कंस्ट्रक्शन और अधिक ट्रैफिक वाले क्षेत्र में जाने से बचें
फेफड़े को ठीक रखने वाले योग करें
वायरल और बैक्टिरियल संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीन लें
समस्या है, तो डॉक्टर से परामर्श लें, सेल्फ मेडिकेशन से बचें
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