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Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 1993 में सिर्फ 200 रुपए के लिए हुई हत्या मामले के 4 सजायाफ्ता की ओर से दायर अपील याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सजायाफ्ता जमादार पंडित, लखन पंडित (अब स्वर्गीय), लक्खी पंडित और किशुन पंडित की आजीवन कारावास की सजा को निरस्त कर दिया.
सुनवाई पूरी होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
खंडपीठ ने निचली अदालत के सजा संबंधी आदेश को निरस्त करते हुए सभी को मुक्त करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने चश्मदीद गवाह मृतक के पुत्र के बयान को नहीं माना. पूर्व में अपील याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
एमीकस क्यूरी टीएन वर्मा ने की थी पैरवी
इससे पहले एमीकस क्यूरी टीएन वर्मा ने पैरवी की थी. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 1993 में यह घटना देवघर जिले के जसीडीह थाना क्षेत्र में हुई थी, जिसमें लोन के रूप में दिये गये 200 रुपए मांगने पर हत्या कर दी गयी थी. प्रार्थी लखन पंडित, जमादार पंडित, लखी पंडित, किशुन पंडित ने क्रिमिनल अपील याचिका दायर की थी.
- वर्ष 1993 में 200 रुपए के लिए हुई हत्या मामले में 4 सजायाफ्ता बरी
- झारखंड हाईकोर्ट ने अपील याचिका पर सुनवाई के बाद दिया फैसला
- लोन के रूप में दिये गये 200 रुपए मांगने पर कर दी गयी थी हत्या
पटना हाईकोर्ट से ट्रांसफर होकर झारखंड हाईकोर्ट पहुंची थी अपील
6 जून 1997 को देवघर की निचली अदालत ने नुनूलाल महतो की हत्या के आरोपी लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित व किशुन पंडित को दोषी पाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. इसके बाद आरोपियों ने पटना हाईकोर्ट में क्रिमिनल अपील याचिका दायर कर सजा को चुनौती दी. पटना हाईकोर्ट ने 1997 में अपीलकर्ताओं को जमानत दे दी.
झारखंड राज्य के गठन के बाद क्रिमिनल अपील याचिका पटना हाईकोर्ट से झारखंड हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गयी. अपील की सुनवाई में प्रार्थियों की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं होता था. इसके बाद कोर्ट ने अंतत: अधिवक्ता टीएन वर्मा को एमीकस क्यूरी नियुक्त किया.
क्या है मामला?
नुनूलाल महतो ने लखन पंडित को 200 रुपए लोन दिए थे. लखन पंडित ने कहा था कि वह खेती-बारी शुरू होने पर उसके खेत में काम करके रुपए लौटा देगा. बाद में उसने काम न तो काम किया, न ही रुपए लौटाये. 3 सितंबर 1993 को नुनूलाल महतो यह कहकर घर से निकला कि वह बिसवरिया गांव के लखन पंडित से पैसा मांगने जा रहा था. वह खाने के समय तक नहीं लौटा.
नुनूलाल का पुत्र भैरव महतो अपने पिता को खोजते हुए बिसवरिया गांव पहुंचा. यहां उसने देखा कि उसके पिता नुनूलाल महतो को लोगों ने घेर रखा है. लोगों के हाथों में टांगी-लाठी हैं. इन लोगों ने भैरव महतो को खदेड़कर भगा दिया. भागकर भैरव गांव पहुंचा. घटना की जानकारी अपने चाचा को दी. चाचा ने कहा कि सुबह में बिसवरिया गांव जाएंगे.
सुबह होने पर भैरव और उसके चाचा अन्य लोगों के साथ बिसवरिया गांव की ओर रवाना हुए. सभी लोग जब गांव की सीमा के पास पहुंचे, तो देखा कि नुनूलाल महतो का शव पड़ा है. इस मामले को लेकर मृतक नुनूलाल महतो के पुत्र भैरव ने जसीडीह थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
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