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Lal Krishna Advani: लालू के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार किया था बिहार के ये अफसर, फिर BJP सरकार में बन गए मंत्री

Lal Krishna Advani: बीजेपी की राजनीतिक सफलताओं का श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी से ज्यादा कई बार लालकृष्ण आडवाणी को दिया जाता है. लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को बीजेपी के कार्यकर्ता बड़े गर्व से याद करते हैं. लेकिन उतना ही याद किए जाते हैं उन्हें गिरफ्तार कराने वाले लालू प्रसाद यादव. क्योंकि उस वक्त लालू प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी में बाधा डालने वाले को गोली मारने का आदेश दिया था.

Lal Krishna Advani: बिहार में लाल कृष्ण आडवाणी को 23 अक्टूबर 1990 की रात के डेढ़ बजे ही समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया था. लालू यादव के आदेश पर जिस IAS अफसर ने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया था, वह आरके सिंह 2014 की बीजेपी सरकार में मंत्री भी बन गए. हालांकि इससे पहले जब 1999 में केंद्र में अटल सरकार बनी तो आडवाणी को गृह मंत्री का पद मिला था. इस दौरान एलके आडवाणी ने आरके सिंह को गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त कर लिया था. यह बात उस समय की है जब राम मंदिर के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू की थी. राम मंदिर आंदोलन को गरमाने के लिए आडवाणी रथ यात्रा का पहला चरण पूरा कर दूसरा चरण 19 अक्टूबर को बिहार के धनबाद से शुरू करने वाले थे. इसी दौरान बिहार के सीएम लालू यादव ने लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का फैसला किया था.

आडवाणी को गिरफ्तार करने से मना कर दिया था ये IAS अफसर

लालू यादव ने धनबाद के उस समय के उपायुक्त अफजल अमानुल्लाह को निर्देश दिया कि वो आडवाणी को वहीं गिरफ्तार कर लें. लेकिन आईएएस अधिकारी अमानुल्लाह ने एकदम ऐन वक्त पर ऐसा करने से इनकार कर दिया. फिर लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा 22 को पटना पहुंच गया. लाल कृष्ण आडवाणी ने गांधी मैदान में राम भक्तों की भारी भीड़ को संबोधित किया. इसके बाद वह 22 की रात में समस्तीपुर पहुंच गए. आडवाणी समस्तीपुर के गेस्ट हाउस में ठहरे हुए थे. 23 अक्टूबर की सुबह रथयात्रा निकालने से पहले ही समस्तीपुर के बतौर विशेष डीएम आरके सिंह ने लालू यादव के आदेश पर आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया.

लालू यादव ने क्यों करवाया लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार

आडवाणी की रथयात्रा के दौरान लालू प्रसाद उनके खिलाफ अभियान में लग गए थे. समस्तीपुर में जिस समय लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया गया, उससे पहले राज्य में फोन सेवा ठप कर दिया गया. इसके साथ ही हेलीकॉप्टर से आडवाणी जी को तुरंत वहां से लेकर दुमका जिला के मसानजोर में पहुंचा दिया गया. लालू यादव अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि आडवाणी जी ने कहा था, ‘देखता हूं, कौन माई का दूध पिया है, जो मेरी रथयात्रा रोकेगा’. मैंने नहले पर दहला मारा, ‘मैंने मां और भैंस, दोनों का दूध पिया है… आइए बिहार में, बताता हूं’

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आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद अल्पसंख्यकों के चहेते बन गए लालू यादव

लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद तो लालू प्रसाद अल्पसंख्यकों के चहेते बन कर उभरे. लालू प्रसाद ने 21 अक्टूबर को पटना के गांधी मैदान में सांप्रदायिकता विरोधी रैली में कहा, ‘कृष्ण के इतिहास को दबाने के लिए ही आडवाणी राम को सामने ला रहे हैं.’ लालू यादव यह प्रदर्शित करना चाहते थे कि उन्होंने ‘सांप्रदायिक आडवाणी’ के रथ को बिहार में घुसने भी नहीं दिया. इस तरह आडवाणी की राम रथयात्रा के विरोध के बहाने लालू प्रसाद अल्पसंख्यक के साथ-साथ अपने यादव वोट बैंक को भी मजबूत बनाने में सफल भी हुए.

आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले AIS अफसर BJP सरकार में बने मंत्री

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब 1999 में केंद्र में अटल सरकार बनी तो आडवाणी को गृह मंत्री का पद मिला था. इस दौरान एलके आडवाणी ने आरके सिंह को उनके साहस व स्वच्छ छवि को देखते हुए गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव नियुक्त कर लिया था. इसके बाद साल 2014 के केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में आरके सिंह को मंत्री पद दिया गया. बतादें कि आरा से 2014 में चुनाव जीतने के बाद दिल्ली पहुंचे आरके सिंह को मोदी सरकार ने केंद्र सरकार में मंत्री बनाया था.

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