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अगहन संक्रांति के दिन 16 दिसंबर को होगी टुसू पर्व की स्थापना

टुसू पर्व की स्थापना अगहन संक्रांति 16 दिसंबर को पंचपरगना क्षेत्र के प्रत्येक गांव में पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार की जायेगी.

कागज और बांस के टुकड़ों से बनेगा चौड़ल, तैयारी शुरू

प्रतिनिधि, बुंडू

टुसू पर्व की स्थापना अगहन संक्रांति 16 दिसंबर को पंचपरगना क्षेत्र के प्रत्येक गांव में पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार की जायेगी. यह त्योहार क्षेत्रीय संस्कृति धूमधाम से मनाते हैं. एक महीना तक लगातार विभिन्न स्थान पर मेला का आयोजन होता है. जहां पर टुसू संगीत ढोल-नगाड़े, चौड़ल लेकर स्थापना के दिन प्रचलित संगीत अखाड़ा में लगभग एक महीना तक नाच गान करते हैं. 16 दिसंबर को संक्रांति के दिन गांव के कुंवारी कन्याओं ने अरवा चावल गोबर लिप कर टुसू देवी की स्थापना करते हैं. स्थापना के समय प्रचलित संगीत अमरा जे मां टूसु थापि, अगहन संक्रांति गो, ओबोला बाछूरेर गोबर आरवा चावलेर गुढी गो तीरीस दिन राखीटुसु तिरिस सालता पाले गो आदि विभिन्न तरह के गाने पारंपरिक रूप से करते हैं.

किसान भी खेत में धान समेट कर खलिहान लाने और टुसू पर्व की तैयारी में जुट जाते हैं. गांव में चंदा इकट्ठा कर कागज और बांस के टुकड़ों से कारीगरों ने आकर्षक चौड़ल निर्माण की तैयारी में लग जाते हैं. मकर संक्रांति के पूर्व तक तैयार हो जाता है. इस पर्व को नारी के सम्मान का प्रतीक का त्योहार माना जाता है. पंच परगना इलाके में सभी गांव में ग्रामीण बच्चों से बूढ़े तक नयी पोशाक खरीदते हैं. संक्रांति के दिन प्रत्येक घरों में अरवा चावल और गुड़ पीठा और स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाते हैं.

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