– सिविल कोर्ट सुपौल व वीरपुर कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का किया गया आयोजन – प्रधान न्यायाधीश, एडीजे वन, एसपी, एडीएम सहित अन्य अधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया उद्घाटन – सुरक्षा के किये गये थे पुख्ता इंतजाम सुपौल. व्यवहार न्यायालय परिसर में शनिवार को साल का चौथा एवं आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. उद्घाटन प्रधान न्यायाधीश राहुल उपाध्याय, एडीजे वन गजनफर हैदर, एडीएम राशिद कलीम अंसारी, पुलिस अधीक्षक शैशव यादव, सचिव हेमंत कुमार सहित अन्य न्यायाधीशों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया. लोक अदालत को लेकर व्यवहार न्यायालय परिसर में हेल्प डेस्क बनाया गया. वहीं वादों के निपटारे को लेकर 12 बेंच का गठन किया गया था. सभी बेंचों पर न्यायिक पदाधिकारी मौजूद थे. न्यायालय परिसर में मेडिकल टीम की नियुक्ति भी की गयी थी. वहीं लोक अदालत को लेकर कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. मौके पर एडीजे टू निशिकांत ठाकुर, एडीजे थ्री सुनील कुमार, विशेष न्यायाधीश उत्पाद अभिषेक मिश्रा, एसीजेएम वन गुरूदत्त शिरोमणी, प्रधान मजिस्ट्रेट अरविंद मिश्रा, भवेश कुमार, चेतन आनंद राखी कुमारी, विधिज्ञ संघ के अध्यक्ष नागेंद्र नारायण ठाकुर, सचिव दीप नारायण भारती, सर्वेश झा, पंकज झा, सौरभ मोहन ठाकुर आदि मौजूद थे. स्वागत भाषण सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार हेमंत कुमार ने किया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन स्वाती चतुर्वेदी ने किया. जबकि संचालन न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम सुदीप पांडे ने किया. राष्ट्रीय लोक अदालत में सुपौल व्यवहार न्यायालय में 12 बेंच तथा वीरपुर न्यायालय में 04 बेंच था. लोक अदालत में सुपौल व वीरपुर में कुल 1217 वादों का निष्पादन किया गया. जिसमें 03 करोड़ 36 लाख 28 हजार 876 रुपये का समझौता हुआ. प्री लिटिगेशन में कुल 888 वादों का निपटारा किया गया. जिसमें 02 करोड़ 39 लाख 11 हजार 777 तथा पोस्ट लिटिगेशन में 329 वादों का निपटारा किया गया. जिसमें 97 लाख 17 हजार 99 रुपये का समझौता हुआ.
आपसी समन्वय से मामलों को होता है निष्पादन : प्रधान न्यायाधीश
प्रधान न्यायाधीश राहुल उपाध्याय ने कहा कि लोक अदालत बिना आपसी सहभागिता के एवं बड़ा मन किये हुए कभी सफल नहीं हो सकता. दूसरा कोई कुछ भी प्रयास कर ले. लेकिन जब तक पक्षकार दिल खोल कर एवं अपना बड़ा मन नहीं रखेंगे और जब तक आपस में समन्वय स्थापित नहीं करेंगे तब तक हमलोगों का कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा. उन्होंने लोगों से अपील करते कहा कि आपलोग अपने-अपने मुकदमे को समाप्त कर लें. यह सुनहरा अवसर है कि एक दिन में मुकदमा खत्म हो जायेगा और फिर इसका कभी कहीं अपील भी नहीं होगा. वहीं लोक अदालत में मौजूद बैंक कर्मियों से कहा कि पक्षकारों से समन्वय स्थापित कर बैंक से संबंधित मामले का अधिक से अधिक निष्पादन हो, इसको लेकर प्रयास करें. जिससे कोई भी व्यक्ति यहां से ना उम्मीद के साथ नहीं लौटे.खुशी से कोई कोर्ट आना नहीं चाहते लोग : एडीजे वन
एडीजे वन गजनफर हैदर ने कहा कि लोक अदालत में सभी प्रकार के मामले का निष्पादन होता है. कहा कि अपराधिक मामले हो या जमीन संबंधी मामला हो, विवाह या अन्य कोई मामला जब कोर्ट तक आती है तब मजबूरी बन जाती हैं. कोई खुशी से कोर्ट आना पसंद नहीं करते हैं. संबंध खराब हो जाता हैं. जेनरेशन का संबंध खराब हो जाते है. सिर्फ मुकदमेबाजी के चक्कर में आर्थिक रूप से भी लोग कमजोर हो जाता है. लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है कि लोगों के बीच जो विवाद है वह खत्म हो जाए और संबंध भी खराब न हो. लोक अदालत में जो सबसे अच्छी बात है की मामला खत्म होता है और न्याय होता है. जहां न तो कोई हारता है और न ही कोई जीतता है. जब मामला कोर्ट में चलता है तो वहां एक जीतता है और एक हारता है. कहा कि लोक अदालत को लेकर और जागरूकता चलाने की जरूरत है. ताकि अधिक से अधिक लोग लोक अदालत के माध्यम से अपना आपसी विवाद का निपटारा कर सकें.लोक अदालत में सुलभ एवं सुगमता से मिलता है न्याय : एडीएम
एडीएम राशिद कलीम अंसारी ने कहा कि साल का अंतिम लोक अदालत है. पिछले लोक अदालत की तुलना में इस बार अधिक लोग उपस्थित हुए हैं. लोक अदालत में कुल 12 बेंच लगाया गया है. जहां सभी न्यायिक पदाधिकारी मौजूद थे. उन्होंने लोगों से लोक अदालत में लगे बेंचों से अधिक से अधिक लाभ उठाने की अपील की. कहा कि न्याय की लंबी प्रक्रिया होती है. जिसमें पक्षकारों को काफी दिक्कत होता है. न्याय का अपना तरीका है. लेकिन लोक अदालत एक ऐसा माध्यम है, जहां लोगों को सुलभ एवं सुगमता से न्याय मिलता है. लोक अदालत में किसी पक्षकार की ना जीत होती है ना हार. यहां सभी पक्षकारों की सिर्फ जीत होती है.लोगों में जगती है आशा की किरण : एसपी
एसपी शैशव यादव ने संबोधित करते कहा कि लोक अदालत को लेकर लोगों में एक आशा जगती है कि हमारे वादों का समाधान हो जायेगा. यहां पर बहुत ही अच्छे व सुलभ तरीके से आपके समस्याओं का समाधान होता है. जितने भी मामले होते है, उसको सुलझाने में लंबा समय लगता है. उसमें लोगों को बहुत तरह की क्षति होती है. लेकिन लोक अदालत में इसका समाधान बहुत ही सुलभ तरीके से हो जाता है.प्रकृति को हरा भरा रखने के लिए एक पेड़ लगाने की है जरूरत : सचिव
कार्यक्रम में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार हेमंत कुमार के द्वारा अपनी बातों के रखने के दौरान उन्होंने अपने मंच के माध्यम से सभी लोगों से अपील करते हुए कहे कि हमारे सुपौल न्यायमंडल के निरीक्षी न्यायाधीश न्यायमूर्ति का एक विजन है कि सुपौल साफ-सुथरा शहर हरा भरा पर्यावरण हो. जिसके लिए सभी लोग अपने-अपने स्तर से साफ सुथरा रखें तथा प्रकृति को हरा भरा रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ पौधा लगाएं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है