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Bhagalpur में चल रहे हजारों प्रतिष्ठान, निगम के रजिस्टर पर मात्र 2200 दुकानें दर्ज

Bhagalpur: भागलपुर में ऐसे विवाह भवन हैं जो लग्न के समय लाखों रुपये कमाते हैं. लेकिन ये विवाह भवन टैक्स नहीं देकर निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं.

Bhagalpur: भागलपुर नगर क्षेत्र में बड़े, मझोले व छोटे हजारों दुकानें चल रही है लेकिन इन दुकानों में से मात्र 2200 दुकानदारों ने ही निगम से ट्रेड लाइसेंस लिया है. यह संख्या निगम के ट्रेड लाइसेंस शाखा के रजिस्टर में दर्ज है. बचे दुकानदार निगम से ट्रेड लाइसेंस नहीं लेकर निगम के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हैं. पिछले पांच साल से अधिक होने को आये ट्रेड लाइसेंस सभी दुकानदार लें इसके लिए पूरे शहर में अभियान चलाया गया. बावजूद स्थिति ढाक के तीन पात हैं. अभियान चलाने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और दुकानदार बिना ट्रेड लाइसेंस के ही दुकान चला रहे हैं. कई क्लीनिक और पैथोलैब भी ट्रेड लाइसेंस नहीं लिये हैं.

बिना ट्रेड लाइसेंस के ही चल रहे कई विवाह भवन

भागलपुर शहर में कई ऐसे विवाह भवन हैं जो लग्न के समय लाखों रुपये कमाते हैं लेकिन टैक्स देने के नाम पर निगम को राजस्व का नुकसान पहुंचा रहे हैं. शहर में कई विवाह भवन ऐसे हैं जो बरारी, नाथनगर, इशाकचक, मिरजान सहित कई इलाकों में चल रहे हैं और निगम से ट्रेड लाइसेंस लिया ही नहीं है.

ट्रेड लाइसेंस शाखा को नगर आयुक्त का दिया निर्देश

नगर आयुक्त डॉ प्रीति ने ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी देवेंद्र नारायण वर्मा को निर्देश दिया है कि सब दुकानदार ट्रेड लाइसेंस लें, ऐसा उपाय करें. नगर आयुक्त ने निर्देश दिया है कि 15 दिन में शहर में कितनी दुकानें, कितने विवाह-भवन, क्लीनिक और पैथो लैब चल रहे हैं जिन्होंने ट्रेड लाइसेंस लिया है कि नहीं. इसको लेकर ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी ने शुक्रवार से ही अभियान चलाना शुरू कर दिया है. ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी ने अभियान में 13 तहसीलदारों को लगाया है. ये तहसीलदार अपनी रिपोर्ट शाखा प्रभारी को सौपेंगे, वहीं रिपोर्ट तैयार कर ट्रेड लाइसेंस शाखा प्रभारी नगर आयुक्त को सौपेंगे.

निगम की कई योजनाएं फाइलों में, निर्णय के बावजूद इंप्लीमेंट नहीं

निगम की कई योजनाएं ऐसी है जिस पर निगम के सामान्य बोर्ड व सशक्त स्थायी समिति की बैठक में निर्णय लिया जाता है लेकिन वह निर्णय धरातल पर उतरा ही नहीं. ये वो योजनाएं हैं जो धरातल पर उतरी नहीं है.

  • शहर में खुले में नहीं काले कपड़े से ढक कर मांस-मछली की बिक्री करें, लेकिन पूरे शहर में खुले में मांस-मछली बेचे जा रहे हैं.
  • नगर को पॉलीथिन मुक्त शहर बनाना है लेकिन कुछ दिन अभियान चलने के बाद अभियान बंद हो जाता है, देखने वाला कोई नहीं.
  • तिलकामांझी से घुरन पीर बाबा चौक, कचहरी होते हुए तिलकामांझी चौक तक होर्डिंस फ्री जोन बनाना था लेकिन यह हुआ ही नहीं.
  • डोर टू डोर कचरा को सही तरीके से उठाव नहीं.

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