IGIC: पटना. पटना का इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (IGIC) कहने को बिहार में हार्ट का इकलौता सुपर स्पेशयिलिटी अस्पताल है, लेकिन इसमें चिकित्सकों के लगभग 47 प्रतिशत पर रिक्त हैं. इसी तरह पारा मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ के कई पद रिक्त हैं. इस अति विशिष्ट अस्पताल में देखा जाये तो नाम को छोड़कर विशिष्ट कुछ भी नहीं है. चिकित्सकों की कमी से अस्पताल में ओपेन हर्ट और सामान्य सर्जरी के लिए छह माह से एक माह बाद का समय मिलता है. ओपीडी मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां नहीं मिलती हैं. सरकार के आदेश के बावजूद यहां के मरीजों को जेनेरिक दवाइयों की बजाय महंगी दवाइयां लिखी जाती हैं. ये दवाइयां भी कुछ चिह्नित दुकानेां में ही मिल पाती हैं.
172 की जगह केवल 82 डॉक्टर
पटना का इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में चिकित्सकों के कुल स्वीकृत पद 172 हैं, लेकिन, यहां कार्यरत चिकित्सकों की संख्या मात्र 85 है. इसमें तीन संविदा पर तैनात किए गए हैं. इन चिकित्सकों में सुपर स्पेशियलिटी कोर्स किए हुए मात्र पांच चिकित्सक ही हैं, जो ओपेन हर्ट या हृदय के बड़े ऑपरेशन कर सकते हैं. इमरजेंसी में भी मरीजों की देखभाल के लिए चिकित्सकों की कमी का सामना इस अति विशिष्ट अस्पताल को करना पड़ रहा है.
स्ट्रेचर पर लिटाकर होता है इलाज
इस अस्पताल में सामान्य मरीजों के लिए 280 और इमरजेंसी में 25 बेड हैं. ट्रॉलीयुक्त तीन बेड और इमरजेंसी में रखा गया है. बावजूद इसके गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण स्ट्रेचर पर लिटाकर इलाज होता है. पत्रकारों से बात करते हुए अस्पताल के अपर निदेशक डॉ केके वरुण ने बताया कि इमरजेंसी में और 12 विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती होती तो इसका संचालन और बेहतर होता. उन्होंने भर्ती मरीजों के लिए इस्तेमाल होनेवाली लगभग सभी दवाइयां अस्पताल से ही मिल जाती हैं.
हर दिन औसतन 30 मरीज होते हैं भर्ती
आंकड़े बताते हैं कि यहां ओपीडी में प्रतिदिन 450 से 500 मरीज आते हैं, जबकि इमरजेंसी में प्रतिदिन 30 नए मरीजों की भर्ती की जाती है. सर्जरी मात्र दो दिन होती है. सभी तरह का इलाज नि:शुल्क है. आयुष्मान भारत और मुख्यमंत्री हृदय योजना का लाभ भी यहां मरीजों को मिलता है. इस कारण गरीब मरीजों की भीड़ ज्यादा होती है. इससे उनको सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस दौरान मरीज और तीमारदार परेशान होते रहते हैं.
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