गया. बढ़ती ठंड के बीच लोग लगातार बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. एएनएमएमसीएच में इन दिनों हाइ फीवर व ब्रेन हेमरेज के मामले अधिक आ रहे हैं. यहां हर दिन ऐसे 15 से 20 केस आ रहे हैं. इनके अलावा धीमी व रुकती आवाज, आलस्य, कदमों में लड़खड़ाहट, हृदयगति, सांस, ब्लड प्रेशर व हाइपोथर्मिया के पीड़ित भी बढ़ गये हैं. बुजुर्गों और बच्चे अधिक चपेट में आ रहे हैं. डॉक्टरों ने बताया कि ठंड लगने पर मरीज को सबसे पहले बंद गर्म कमरे में लिटा दें. गर्म कपड़े पहना दें. इसके बाद उन्हें गर्मी पहुंचाने की व्यवस्था रखें. ध्यान रहे आपको सीधे हीट का प्रयोग नहीं करना है. टांगों और कंधों को गर्म रखने के लिए कंबल का प्रयोग करें. बुजुर्गों को सर्दी में अक्सर सांस की समस्या का सामना करना पड़ता है. हार्ट फेल के मामले भी इस मौसम में बढ़ जाते हैं. इसके अलावा सर्दी में स्ट्रोक और निमोनिया का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है. अत: ऐसे मौसम में लापरवाही बिल्कुल नहीं बरतनी चाहिए.
दिक्कत होने पर तुरंत करें डॉक्टर से संपर्क
एएनएमएमसीएच के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ पीके सिन्हा ने कहा कि इस मौसम में हृदय रोगियों, खासतौर से बुजुर्गों को छाती में दर्द हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं. हृदय रोगों की नियमित जांच कराएं और नियमित दवा लें. सांस फूलने, बायें कंधे, हाथ या सीने में दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. ठंडक में बुजुर्गों की सेहत को खतरा काफी बढ़ जाता है. इसमें शरीर अचानक ठंडा पड़ जाता है और बेहोशी के साथ दिल की धड़कन धीमी हो जाती है. उन्होंने बताया कि सर्दियों में तापमान कम होने पर वृद्धों और बच्चों को खतरा बना रहता है. ऐसे मौसम में शरीर को जितनी गर्मी की आवश्यकता होती है, उतनी वह बना नहीं पाता है. इससे परेशानी बढ़ जाती है. इस दौरान वे अधिकतर हाईपोथर्मिया के शिकार होते हैं. क्योंकि, ठंड से बचाव की प्रणाली उम्र बढ़ने के साथ कमजोर हो जाती है. इसके अलावा सबक्युटेनियस वसा में भी कमी आ जाती है. सर्दी-जुकाम होने पर सीधे दवा विक्रेता से दवा लेकर स्वयं ही इलाज कर लेना भी इसका कारण बन सकता है.
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