भू-दान यज्ञ कमेटी की पांच सौ एकड़ से अधिक भूमि पर लोगों ने जमा रखा है कब्जा………….खगड़िया. पूर्वजों द्वारा गरीबों/ भूमिहीनों के लिये दान में दी गई जमीन पर कई दसकों से उनके वंशज कब्जा जमाए बैठें हैं. सातों प्रखंडों में ऐसी भूमि का रकवा पांच सौ एकड़ से अधिक है. जिस पर कई दसकों से भू- दाताओं के वंशजों (बेटा-पोता) का दखल-कब्जा है. पूर्वजों द्वारा दान में दी गई भूमि को अपना बताकर कई सालों से ये लोग बे-रोक-टोक उसपर जोत-आवाद कर रहे हैं. ताज्जुब की बात तो यह है कि इतने सालों में भू-दान यज्ञ कमेटी अथवा जिला-प्रशासन के संबंधित पदाधिकारियों को भू-दाताओं से मिली भूमि की खोज-खबर लेने की फुर्सत तक नहीं मिली है. ये वैसी भूमी है, जिसे जिले के भू-दाताओं ने 50 के दसक में भू-दान यज्ञ कमेटी को गरीब भूमिहीनों के बीच वितरण के लिये दान में दिया था. गौरतलब है कि देश के आजादी के कुछ साल बाद संत विनोबा भावे द्वारा चलाए गए भूदान आंदोलन के दौरान खगड़िया में भी बड़ी संख्या में लोगों/भू-धारियों ने अपनी जमीन स्वैच्छिक दान में दिया था.
565 एकड़ भूमि का नहीं हो पाया वितरण
जानकारी के मुताबिक भूदान आंदोलन के दौरान खगड़िया में ( तब मुंगेर जिला था ) 1152 दाताओं ने 2 हजार 645 एकड़ 8 डिसीमल जमीन भू-दान यज्ञ कमेटी को दान में दिया था. दाताओं से प्राप्त भूमि के विरुद्ध सातों प्रखंडों में 4 हजार 486 भूमिहीनों के बीच 2 हजार 79 एकड़, 94 डिसीमल जमीन का परचा बांटा गया. जबकि करीब 565 एकड़ जमीन का वितरण अबतक ( 70 साल बीत जाने के बाद भी) नहीं हो पाया. इस अवितरित जमीन को देखने वाला कोई नहीं है. बताया जाता है कि इस अववितरित जमीन को भू-दाताओं के वंशज ( बेटा-पोता ) अपने कब्जे में लेकर जोत-आवाद कर रहे हैंजमीन बेचने की भी बातें आती रही है सामने
भू-दान की जमीन बेचे जाने की भी बातें सामने आ रही है. भू-दाता के वंशज सहित परचाधारी भी जमीन बेचते रहे हैं. हालांकि यह बातें सामने आने के बाद प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्रवाई भी की गई है. पिछले साल भू-दान की करीब 7 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाई गई थी. भूदान के प्रभारी मंत्री के पत्र के बाद उक्त जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगाई गई है. वहीं मानसी में भू-दान कार्यालय से मिली जमीन को बेचने के बाद उक्त जमीन के दाखिल-खारीज को अस्वीकृत कर दिया गया. पूछे जाने पर भू-दान यज्ञ कमेटी के प्रभारी मंत्री चंदन कुमार बताते हैं कि दान में दी गई जमीन तथा परचा के जरिये भूदान कार्यालय से प्राप्त जमीन बेचना गलत है. जहां से भी सूचना मिल रही है, तुरंत कार्रवाई की जा रही है.जमीन उपलब्ध है फिर भी बाबुओं को नहीं मिल रही जमीन
1950 के दशक में भू-दान अभियान के तहत गरीबों/जरुरतमंदों/ भूमिहीनों के लिए भू-दाताओं से जमीन दान में लिए गए थे. दान में मिली जमीन को सैकड़ों जरूरतमंदों के बीच बांटा भी गया. शेष बची हुई/अवितरित भूमि की खोज-खबर नहीं लिए जाने के कारण इस पर लोगों का अवैध कब्जा बना हुआ है. बता दें कि अभियान बसेरा-टू अंतर्गत सातों प्रखंडों में सर्वेक्षित चार हजार से अधिक वास भूमि-विहीन परिवारों के लिए जमीन की खोज चल रही है. वरीय पदाधिकारी के आदेश के बार-बार जारी आदेश के बाद भी सीओ तथा राजस्व कर्मचारी सर्वेक्षित परिवारों के लिए जमीन ढूंढ नहीं पा रहे हैं. जबकि हर प्रखंड में भू-दान की अवितरित जमीन यूं ही पड़ी हुई है. गरीबों/ जरूरतमंदों के लिए भू-दान में मिली जमीन ( अवितरित भूमि ) को सर्वेक्षित परिवारों के बीच बांटकर उनकी आवश्यकता पूरी की जा सकती है.
कहते हैं प्रभारी मंत्री
भू-दान आंदोलन के दौरान भू-दाताओं प्राप्त भूमि, गरीबों के बीच वितरित तथा वितरित एवं शेष बचे संपुष्ट एवं अवितरित जमीन का पूर्ण लेखा-जोखा कार्यालय में उपलब्ध है. वरीय पदाधिकारी के आदेशानुसार अवितरित जमीन को लेकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.चंदन कुमार, प्रभारी कार्यालय मंत्री भू-दान
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