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East Singhbhum : घाटशिला के बुरुडीह डैम में सुविधाएं नगन्य, पर्यटक ठगा महसूस कर रहे

बुरुडीह घाटशिला का मुख्य पर्यटन स्थल है. यहां पर्यटकों की सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है.

अजय पाण्डेय, घाटशिला

घाटशिला का बुरुडीह डैम प्रकृति की गोद में बसा है. डैम चारों ओर पहाड़ों से घिरा है. डैम को निहारने के लिए कोलकाता समेत अन्य जगहों के पर्यटक खींचे चले आते हैं. अभी तो डैम में पानी लबालब भरा है. बुरुडीह घाटशिला का मुख्य पर्यटन स्थल है. पर्यटक यहां आकर अपने को ठगा सा महसूस करने लगे हैं. यहां पर्यटकों की सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है.

पांच माह से नौका परिचालन ठप, कैफेटेरिया का झूला गायब

पांच माह से बुरुडीह डैम में नौका परिचालन नहीं हो रहा है. जिससे यहां आने वाले पर्यटक मायूस होकर वापस लौट रहे हैं. वर्ष 2007 में पूर्व विधायक डॉ प्रदीप कुमार बलमुचु की निधि से कैफेटेरिया का निर्माण तो हुआ. कुछ दिनों तक तो कैफेटेरिया में लोगों की भीड़ रही. बच्चे खेलते नजर आये. मगर कैफेटेरिया के सामान भी धीरे-धीरे गायब होने लगे. अभी कैफेटेरिया वीरान पड़ा है. झूले गायब हो गये हैं. केवल दोनों तरफ के लोहे बचे हैं. कैफेटेरिया की वर्षों से सफाई नहीं हुई है. इस वजह से जगह-जगह जंगली झाड़ी और पौधे उग आये हैं.

कैफेटेरिया के शौचालय में गंदगी का अंबार

कैफेटेरिया के शौचालय में प्लास्टिक की बोतल और पॉलीथिन भरे पड़े हैं. शौचालय की वर्षों से सफाई नहीं हुई है. वहीं, कैफेटेरिया में वर्षों से सफाई नहीं हुई है. गंदगी का अंबार जमा है. कैफेटेरिया सही रखरखाव के अभाव में जिस उद्देश्य से बना था. उस उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहा है.

पानी-बिजली विहीन कैफेटेरिया

बुरुडीह डैम के नीचे बने कैफेटेरिया में पानी और बिजली की सुविधा भी नहीं है. कैफेटेरिया पर्यटकों के लिए बना था, ताकि दूरदराज से आने वाले पर्यटक यहां ठहर सकें. भोजन कर सकें. मगर शुरुआत से ही कैफेटेरिया की सही ढंग से देखरेख नहीं हुई. 17 साल में ही कैफेटेरिया अपना अस्तित्व खोते जा रहा है.

बुरुडीह डैम के आसपास शौचालय नहीं

डैम के आसपास पर्यटकों के लिए एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है. महिलाओं के लिए आसपास के होटल संचालकों ने प्लास्टिक और प्लास्टिक की बोरी लगा कर अस्थायी तौर पर दो तीन शौचालय बनाये हैं. मगर पर्यटन विभाग द्वारा आसपास शौचालय की व्यवस्था नहीं की गयी है.

टूरिज्म विभाग के शौचालय में बिजली और पानी नहीं

टूरिज्म विभाग द्वारा बुरुडीह डैम के नीचे लगभग डैम से एक किलोमीटर की दूरी पर मुख्य सड़क के किनारे बनाये गये शौचालय में पानी और बिजली की सुविधा पहले थी. आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि मुख्य सड़क के किनारे पोल से तार जोड़ कर शौचालय की टंकी में कभी कभार पानी चढ़ाया जाता है. टूरिज्म विभाग के शौचालय में पानी चढ़ाने के लिए बोर्ड लगा है. टंकी तक पाइप भी लगे हैं. मगर कल तक शौचालय में पानी नहीं है. शौचालय के दरवाजे बंद हैं.

प्लास्टिक के पाइप पर टिका शौचालय का दरवाजा

टूरिज्म विभाग के शौचालय में लगा लोहे का दरवाजा कभी भी गिर सकता है. प्रथम और अंतिम शौचालय का दरवाजा तो खुलता है. मगर बीच के दरवाजे नहीं खुलते. एक शौचालय का दरवाजा प्लास्टिक की पाइप से बांध कर रखा गया है, ताकि दरवाजा खुल कर गिर नहीं जाये.

आदिवासी सामुदायिक भवन का नहीं खुलता ताला

बुरुडीह में बना आदिवासी सामुदायिक भवन का ताला पहले तो खुलता था. मगर मेनटेनेंस के अभाव में अभी ताला नहीं खुल रहा है. सामुदायिक भवन में शौचालय और बाथरूम भी बने हैं. भवन में बिजली और पानी की सुविधा है. पानी की सुविधा के लिए टंकी भी लगायी गयी है. मगर सही ढंग से देखरेख नहीं होने से भवन में अभी ताला लटक रहा है.

…कोट…वर्ष 2023-24 में 5.4 लाख रुपये में बुरुडीह डैम में नौका परिचालन का टेंडर लिया था. लगभग 3 लाख 20 हजार रुपये ही प्राप्त हुए. डैम में नौका परिचालन का सही समय 24 दिसंबर से जनवरी तक माह तक ही है. एक जनवरी को बोट खराब हो गया. इससे उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ा. इससे करीब 50 प्रतिशत घाटा हुआ. अभी डैम में नौका परिचालन का टेंडर राम बिलास सिंह को मिला. इसका गांव वाले विरोध कर रहे हैं. पोषक क्षेत्र से बाहर के व्यक्ति को डैम में नौका परिचालन का ठेका नहीं मिल सकता. वहीं, विस्थापितों को इसका मलाल है. उन्हें छोड़ कर बाहरी लोगों को नौका परिचालन का टेंडर दिया जा रहा है. क्योंकि विस्थापितों में कुछ को नौकरी मिली. शेष लोग मारे मारे फिर रहे हैं.

-मंगल मार्डी, पूर्व नौका परिचालन टेंडर धारी, चेंगजोड़ा, घाटशिला.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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