सीमावर्ती गांव के लोगों के साथ समन्वय बैठक कर लगातार सचेत कर रहे हैं बीएसएफ के अधिकारी कोलकाता. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े लोगों पर हमले का सिलसिला नहीं थमा है. ऐसे में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिये हमारे देश में घुसपैठ की ज्यादा संभावना है. फलस्वरूप, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने चौकसी व निगरानी और कड़ी कर दी है. सीमा से सटे गांवों में रहने वाले लोगों के साथ बीएसएफ के अधिकारी लगातार समन्वय बैठक कर उन्हें सचेत कर रहे हैं, ताकि पड़ोसी मुल्क की मौजूदा हालात का फायदा आतंकी, तस्कर व अपराधियों को ना मिले. रविवार को भी पश्चिम बंगाल के भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद सीमा चौकी साकेत एवं चाणक्य के उत्तरदायित्व क्षेत्र में गांवों में बीएसएफ ने स्थानीय नागरिकों के साथ समन्वय बैठक की. यहां बैठक की अध्यक्षता बीएसएफ सी कंपनी के सहायक कमांडेंट मनोज कुमार ने की. बैठक में ग्राम सदस्य सैमुल हक एवं अन्य ग्रामीण उपस्थित थे. बैठक में सीमावर्ती गांव के ग्रामीणों ने आइबीबीएफ के पास मवेशियों के चरने के संबंध में छोटी-मोटी समस्याएं उठायीं. कंपनी कमांडर ने उनसे कहा कि वे अपने मवेशियों एवं बकरियों को अपने खेत में ही चराएं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सीमा के बाहर इसकी अनुमति देना संभव नहीं है. ग्रामीणों ने कंपनी कमांडर से अनुरोध किया कि वे अपनी सड़क एवं आरओ प्लांट के लिए सिविल प्रशासन से संपर्क करें. कंपनी कमांडर ने आश्वासन दिया कि मामले से सिविल प्रशासन को अवगत कराया जाना चाहिए, हालांकि वे बाद में मामले को देखेंगे. बीएसएफ ने ग्रामीणों से अनुरोध किया कि वे सीमा पार विभिन्न अपराधों में राष्ट्र विरोधी तत्वों की गतिविधियों का पता चलते ही बल को अवगत करायें. बांग्लादेश में स्थिति बहुत गंभीर है. बांग्लादेशी आतंकी व अपराधी नापाक गतिविधियों को पूरा करने के लिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बैठक में उठे तमाम मुद्दों को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है