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मणिपुर हिंसा: बिहार के मजदूरों को कैसे टारगेट करके मारी गयी गोली? मृतक के भाई ने बतायी आपबीती…

मणिपुर हिंसा में बिहार के मजदूरों को कैसे टारगेट करके गोली मारी गयी इसके बारे में मृतक दशरथ के भाई ने आपबीती बतायी है. जानिए क्या हुआ था...

मणिपुर हिंसा (manipur violence) में बिहार के दो प्रवासी मजदूरों की हत्या कर दी गयी. शनिवार की शाम को काकचिंग जिले में अपराधियों ने दोनों युवकों को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. मृतकों की पहचान बिहार के गोपालगंज जिले के जादोपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत राजवाही गांव के बिन टोली निवासी सोनेलाल मुखिया(18 वर्ष) और दशरथ कुमार (17 वर्ष) के रूप में हुई है. इस घटना से मृतक के साथियों और परिजनों में मातम पसरा हुआ है. वहीं मृतकों के साथ मजदूरी कर रहे उनके अन्य साथियों ने आंखोदेखी घटना के बारे में बताया है.

साइकिल से आ रहे मजदूरों को मारी गोली

सोनेलाल मुखिया और दशरथ कुमार निर्माण श्रमिक थे और मैतेयी के प्रभुत्व वाले काकचिंग में किराये के मकान में रहते थे. राजवाही बिन टोली के करीब एक दर्जन मजदूर दीपावली के अगले दिन 1 नवंबर को मणिपुर के काकचिंग जिले में राजमिस्त्री का काम करने के लिए गए थे. मृतकों के परिजनों के अनुसार, शनिवार की शाम को 5 बजकर 20 मिनट के करीब काकचिंग-वाबागई रोड पर ये दोनों लड़के साइकिल से लौट रहे थे. इस दौरान उनके अन्य साथी पैदल आ रहे थे. लेकिन इन दोनों साइकिल सवारों को अपराधियों ने टारगेट बनाया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी.

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शादी की चल रही थी बात, होली में घर लौटने वाला था दशरथ

मणिपुर में मौत के घाट उतारे गए दशरथ सहनी अपने बड़े भाई संतोष सहनी के साथ मजदूरी करने के लिए गांव से मणिपुर गया था. 500 रुपए दिहाड़ी वो कमाते थे. होली पर दोनों भाई घर आने वाले थे. दोनों की शादी की बात घर में चल रही थी. लेकिन दशरथ का अब शव ही मणिपुर से आएगा. उसका भाई संतोष मणिपुर में है. उसने फोन पर बताया कि उसके भाई को बीच सड़क पर मौत के घाट उतार दिया गया.

दशरथ के भाई ने घटना की आपबीती बतायी

घटना से दहशत में आए संतोष ने बताया कि दशरथ और सोनेलाल साइकिल से अपने किराये के मकान पर जा रहे थे. उसके पीछे ही अन्य सभी लोग पैदल ही चल रहे थे. सभी काम से लौटकर अपने किराये के मकान पर जा रहे थे. अचानक अपराधियों ने साइकिल से जा रहे दशरथ और सोनेलाल को गोली मार दी और मौत के घाट उतार दिया. संतोष ने कहा कि वो लोग पैदल थे इसलिए थोड़ी दूर थे. अगर वो सब भी पहले वहां पहुंच गए होते तो सबकी जान जा सकती थी. संतोष घटना की आपबीती फोन पर सुनाते हुए फफक कर रो पड़े. इधर, अब दोनों मजदूरों के शवों को उनके गांव लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारी चल रही है.

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