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आक्रोश रैली निकाल कर निगम के सफाईकर्मियों ने जताया विरोध

नगर आयुक्त से वार्ता आज

मुंगेर. नगर निगम सफाई कर्मचारी संघ के आह्वान पर सोमवार से होने वाला सफाईकर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल तो टल गयी. लेकिन सफाईकर्मियों ने संघ के बैनर तले शहर में आक्रोश रैली निकाल कर नगर निगम प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. रैली निकलने के कारण शहर में सफाई व्यवस्था सुबह में घंटों बाधित रही.

पहले ही नगर आयुक्त को दिया था ज्ञापन

नगर निगम कार्यालय से संघ के बैनर तले स्थाई, दैनिक व एनजीओ के सफाईकर्मियों ने आक्रोश रैली निकाली, जो शहर के सितारिया चौक, राजेंद्र चौक, गांधी चौक, एक नंबर ट्रैफिक होते हुए नगर निगम कार्यालय पहुंच कर समाप्त हुई. संघ के महामंत्री ब्रह्मदेव महतो ने बताया कि एनजीओ और दैनिक सफाईकर्मियों का मानदेय प्रतिदिन 420 की जगह 600 रुपये करने, स्थाई सफाईकर्मियों को सातवां वेतन का लाभ देने, पांचवें और छठे वेतनमान के अंतर वेतन का भुगतान करने, एनजीओ और दैनिक मजदूरों को वर्दी व साबुन भत्ता देने की मांग लंबे समय से की जा रही है. अनुकंपा पर बहाली की मांग लगातार की जा रही है. संघ ने पहले ही नगर आयुक्त को ज्ञापन देकर मांगों को रखा था और कहा था कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो 16 दिसंबर से सफाईकर्मी हड़ताल पर चले जायेंगे. हालांकि नगर आयुक्त ने नोटिस भेज कर 17 दिसंबर मंगलवार को वार्ता के लिए बुलाया है. अगर वार्ता सकारात्मक होती है तो ठीक है, नहीं तो सफाईकर्मी वार्ता के बाद से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे.

आउटसोर्सिंग से शहर की सफाई, प्रतिमाह खर्च हो रहे 1.47 करोड़

मुंगेर. मुंगेर शहर की सफाई आउटसोर्सिंग एजेंसी के भरोसे है. शहर में झाडू लगाने से लेकर डोर-टू-डोर कचरा का उठाव व शहर से कूड़ा का उठाव कर उसे डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने तक की जिम्मेदारी आउटसोर्सिंग एजेंसी की है. इसके लिए नगर निगम प्रशासन प्रतिमाह लगभग 1.47 करोड़ की मोटी राशि आउटसोर्सिंग एजेंसी को भुगतान करता है. बावजूद नगर निगम सफाई कर्मचारी संघ हड़ताल की धमकी देकर मानदेय बढ़ाने का मुद्दा उठा रहा है. वैसे इस मामले को लेकर मंगलवार को प्रभारी नगर आयुक्त के साथ सफाई कर्मचारी यूनियन की वार्ता होनी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब आउटसोर्सिंग एजेंसी कोई सफाई की जिम्मेदारी है तो सफाईकर्मियों का मानदेय प्रतिदिन 420 की जगह 620 रुपये की मांग निगम प्रशासन से करना कितना सही है. विदित हो कि नगर निगम कर्मचारी संघ के महामंत्री ब्रह्मदेव महतो पूर्व में निगम का कर्मचारी था और कूड़ा घोटाले के मामले में पकड़े जाने पर न सिर्फ उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हुई थी, बल्कि निगम बोर्ड के माध्यम से उसे बर्खास्त भी कर दिया गया था. निगम से बर्खास्तगी के बाद भी वह सफाई यूनियन के माध्यम से निगम में अपनी राजनीति बुलंद कर रहा है.

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