Shilpi Neha Tirkey: रांची-झारखंड की कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा है कि बहुत जल्द प्रखंड स्तर पर पशु बाजार की शुरुआत की जाएगी. इसका उद्देश्य अच्छी नस्ल की गाय या पशु उचित मूल्य पर किसानों को उपलब्ध कराना है. विभाग योजना से संबंधित कैलेंडर भी जारी करेगा. पशु बाजार में पशु की खरीद-बिक्री को पारदर्शी बनाने के लिए पशु रेट चार्ट भी जारी किया जाएगा. उन्होंने मंगलवार को अपने विधानसभा क्षेत्र मांडर (रांची) में निरीक्षण के दौरान ये बातें कहीं.
मिल्क कलेक्शन सेंटर का किया निरीक्षण
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने रांची के मांडर विधानसभा क्षेत्र के करगे, बंझिला, महुआ जारी और कैम्बो में मिल्क कलेक्शन एवं चिलिंग प्लांट का निरीक्षण किया. इस दौरान झारखंड मिल्क फेडरेशन के पदाधिकारी भी मौजूद रहे. मंत्री ने करगे मिल्क कलेक्शन एवं चिलिंग प्लांट के निरीक्षण के दौरान साफ-सफाई के साथ सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने को कहा. इस प्लांट में अधिक मात्रा में दूध का कलेक्शन होता है. निरीक्षण के दौरान किसानों ने कैटल फीड के लिए मेधा दाना की दर में 5 रुपए तक कमी करने की मांग दोहरायी. मंत्री विभागीय अधिकारियों से चारा काटने की मशीन को लेकर भी जानकारी ली. उन्होंने किसानों को चारा काटने की मशीन उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करने का निर्देश दिया.
किसानों ने की गाय वितरण में अनियमितता की शिकायत
किसानों ने मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की से गाय वितरण में अनियमितता की शिकायत की. पशुपालन विभाग द्वारा 90 प्रतिशत सब्सिडी पर ST/SC और विधवा को पशु देने की योजना है, जबकि सामान्य के लिए ये सब्सिडी 75 प्रतिशत है. किसानों का आरोप है कि बाजार मूल्य से ज्यादा दर निर्धारित कर सब्सिडी का लाभ उन्हें दिया जाता है. मंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया है कि अब ऐसा नहीं होगा. विभाग द्वारा दिए जाने वाले पशु का रेट चार्ट भी सार्वजनिक किया जाएगा.
पशु धन योजना का कैलेंडर होगा जारी
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि विभाग पशु धन योजना को लेकर किसानों के लिए कैलेंडर जारी करेगा. इस कैलेंडर में योजना से संबंधित सभी तरह की जानकारी उपलब्ध रहेगी. किसानों ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से लायी जाने वाली गाय की मृत्यु दर अधिक है. इसलिए किसानों ने मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की से स्थानीय गाय उपलब्ध कराने का आग्रह किया. किसानों ने गोकुल भवन की संख्या बढ़ाने की मांग की है, ताकि दूध कलेक्शन की मात्रा बढ़ायी जा सके.