Jharkhand High Court: रांची-झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2016 (हाईस्कूल शिक्षक बहाली) के तहत नियुक्ति को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई की. इस दौरान अदालत में प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखा गया. बहस पूरी होने के बाद अदालत ने लिखित रूप में बहस प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अब राज्य सरकार और जेएसएससी की ओर से पक्ष रखा जायेगा. मामले की अंतिम सुनवाई तीन जनवरी 2025 को होगी.
न्यायिक आयोग का किया जाए गठन
झारखंड हाईकोर्ट में इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता राजीव नंदा, अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को दिखाया कि कई अभ्यर्थियों जिनका अंतिम चयनित अभ्यर्थियों से कम नंबर है, उनकी भी नियुक्ति कर दी गयी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी सही तरीके से पालन नहीं किया गया है. अदालत के कड़े रूख के बाद भी जेएसएससी द्वारा जारी मेरिट लिस्ट में काफी गड़बड़ियां हैं. गड़बड़ियों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया. आग्रह किया गया कि प्रार्थियों की संख्या हजारों में है. ऐसे में एक सदस्यवाले न्यायिक आयोग का गठन किया जाये, जो जेएसएससी के स्टेट मेरिट लिस्ट और अभ्यर्थियों की व्यक्तिगत शिकायतों की जांच करेगी और निर्णय लेगी.
खाली हैं 3704 पद
प्रार्थियों की ओर से यह भी बताया गया कि 3704 पद रिक्त हैं. सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया कि रिक्त पद को सरकार द्वारा सरेंडर करना सही नहीं है. बचे हुए रिक्त पदों पर प्रार्थियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि महाधिवक्ता के अस्वस्थ रहने के कारण वह अपना पक्ष नहीं रख पा रहे हैं. पक्ष रखने के लिए समय देने का आग्रह किया गया. जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल उपस्थित थे.
2016 में हाईस्कूल शिक्षक के लिए शुरू हुई थी नियुक्ति प्रक्रिया
प्रार्थी मीना कुमारी और अन्य की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गयी हैं. जेएसएससी ने वर्ष 2016 में हाईस्कूल शिक्षक के 17572 पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की थी. कोर्ट के आदेश के बाद जेएसएससी ने 26 विषयों का स्टेट मेरिट लिस्ट जारी किया था.
Also Read: Hemant Soren: बकाया 1.36 लाख करोड़ के लिए एक्शन में हेमंत सोरेन सरकार, JMM ने भी दी चेतावनी