अमर कुमार, सिकटा . घड़ी में सोमवार की रात के करीब 10.30 बजे थे. गोपालपुर थाना क्षेत्र के डकाही गांव में बद्री राम की पत्नी सुगांती देवी अपनी बिटिया खुशबू के साथ अपने फूंस के घर में सोयीं थीं. मवेशियों के लिए घर में बगल में धुंईहर जलाकर बद्री भी घर में आकर लेटे थे. इसी दौरान घर से धुंआ उठता देख बद्री उठे और गाय की रस्सी खोलने चले गये. इधर, मां-बेटी को आग की भनक तक नहीं लगी और अचानक आग ने दोनों को आगोश में समेट लिया.
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो चंद मिनट में आग ने ऐसा विकराल रूप धारण किया कि मां-बेटी की चीखे आग की धधकती शोर में गुम हो गई. घर के छत से काल बनकर गिरे चचरे ने मां-बेटी को ऐसा खामोश किया कि दोनों उसी में दबकर जिंदा जल गये. पत्नी व बेटी समेत घर को जलते देख बद्री चीखते रह गये, लेकिन आग की लपटें इतनी तेज थी कि उनकी एक न चली और न ही वह घर में प्रवेश कर सके. उनकी आंखों के सामने ही पूरा आशियाना और हंसता खेलते परिवार के दो सदस्य आग की भेंट चढ़ गये. सूचना पर फायर ब्रिगेड भी पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. सामने बस राख का ढ़ेर था, जिसमें दो लाशें पड़ी थीं. इसके साथ पांच बकरियां भी जलकर राख हो गई थी. घर में रखे कपड़े, अनाज, मोबाइल सभी सामान जलकर राख हो गए थे.रोजाना दूसरे घर पर अपने भाईयों के साथ सोती थी बिटिया खुशबू
जीएमसीएच परिसर में मौजूद बद्री राम के बड़े भाई संजय राम ने बताया कि खुशबू रोजाना गांव में स्थित अपने दूसरे घर पर सोती थीं, लेकिन घटना वाली रात वह मां के साथ फूंस के घर में सोने चली गई. ऐसे में वह इस हृदयविदारक आपदा की शिकार हो गई. उन्होंने बताया कि बद्रीराम सरगटिया पंचायत में स्वछताग्रही हैं. उनके बेटे शैलेन्द्र कुमार 18 व मनीष कुमार 11 अपने दूसरे घर पर ही सोये थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है