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दहा नदी को बचाने की मुहिम अब एनजीटी के हवाले

जिले से कभी दहा नदी की अविरल धारा बहती थी.अब यह नाले का शक्ल ले चुकी है.मैली हो चुकी दहा नदी अपना अस्तित्व बचाने के लिये संघर्ष कर रही है.इसे बचाने को लेकर पर्यावरणविदों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कभी चिंता जतायी तो कभी सरकार ने डीपीआर बनाने की ओर कदम बढ़ाया.

संवाददाता,सीवान. जिले से कभी दहा नदी की अविरल धारा बहती थी.अब यह नाले का शक्ल ले चुकी है.मैली हो चुकी दहा नदी अपना अस्तित्व बचाने के लिये संघर्ष कर रही है.इसे बचाने को लेकर पर्यावरणविदों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कभी चिंता जतायी तो कभी सरकार ने डीपीआर बनाने की ओर कदम बढ़ाया.इसके बाद भी धरातल पर कोई तस्वीर बदलते नहीं दिखी.इस बीच राष्ट्रीय हरित अधिकरण अर्थात एनजीटी में यह मामला जाने के बाद एक बार नदी के बेहतर कल की उम्मीद जगी है.एनजीटी ने जिम्मेदार विभागों से जवाब तलब किया है.

85 किलोमीटर लंबी नदी का सारण प्रमंडल से है नाता

गोपालगंज के कुचायकोट प्रखंड के भोजछापर से निकलकर सीवान के इटवा पुल से जिले में प्रवेश करती है. 85 किलोमीटर वाली दाहा नदी जिले के छह प्रखंडों क्रमश: बड़हरिया, सदर, हुसैनगंज, हसनपुरा, सिसवन व आंदर प्रखंड से होकर गुजरती है और सारण के फुलवरिया ताजपुर के निकट सरयू में मिल जाती है. मुख्यत: यह वर्षा जल पर आधारित नदी है. कहा जाता है कि 40 साल पहले यह नदी काफी चौड़ी और स्वच्छ हुआ करती थी और इसके आस पास वन क्षेत्र होने से इसकी भूजल रिचार्ज क्षमता काफी अधिक थी, जिसके चलते यह नदी अविरल बहा करती थी.

नालों का पानी व कचरा का डंपिंग सेंटर बन गयी है दहा नदी

गोपालगंज व सारण जिले सहित सीवान के भी शहरी हिस्सों के अलावा सैकड़ों गांवों का गंदा पानी हर दिन दाहा नदी में गिरता है.इसके अलावा विशेषकर शहरी क्षेत्र के लिये कचरा गिराने का यह स्थान बन गया है.ऐसे में लाखों टन कचरा प्रत्येक वर्ष नदी में समा रही है.जानकारों का मानना है कि नदी के एक बड़े हिस्से को पाटकर कब्जा भी कर लिया गया है.ऐसे में जहां नदी अब नाले में तब्दील होती जा रही है.

नदी को बचाने के लिये वर्ष 2019 में बना था 125 कराेड़ का डीपीआर

वर्ष 2019 में गोपालगंज के देवापुर आगमन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नदी के संरक्षण को लेकर आदेश दिया था.जिसके बाद जल संसाधन विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता अशोक कुमार रजन ने डीपीआर तैयार कराया.जिसके मुताबिक इस पर 125 करोड़ रुपये खर्च का प्राक्लन तैयार किया गया. इसे गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग पटना के लिये भेजा गया.जहां यह मामला अटका हुआ है.

सामाजिक कार्यकर्ता प्रयाग ने एनजीटी में की अपील

सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता प्रयाग कुमार दाहा नदी को बचाने को लेकर लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं. प्रयाग ने इसको लेकर एनजीटी अर्थात राष्ट्रीय हरित अधिकरण में आवेदन दिया.जिसमें 27 अगस्त को आवेदन दाखिल करने पर 23 सितंबर को प्रथम सुनवाई हुयी. जिस पर एनजीटी ने प्रधान सचिव पर्यावरण एवं वन विभाग बिहार सरकार, नगर परिषद सीवान के कार्यपालक पदाधिकारी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सचिव व जिला पदाधिकारी सीवान को पार्टी बनाते हुए 21 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इसके बाद भी अधिवक्ता प्रयाग कुमार के मुताबिक संबंधित विभाग द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया.जिस पर मुख्य न्यायमूर्ती ने 10 जनवरी 2025 तक अंतिम मौका दिया है.अब सबकी निगाहें एनजीटी के अगले रूख पर है.

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