कोलकाता.
राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूलों में हुईं नियुक्तियों के घोटाले में अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने सुजय कृष्ण भद्र उर्फ ‘कालीघाटेर काकू’ को शोन अरेस्ट किया है. मंगलवार को विचारभवन स्थित स्पेशल सीबीआइ कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, जहां भद्र को प्रेसिडेंसी संशोधनागार से वर्चुअली पेश कराया गया. इसी दिन, केंद्रीय जांच एजेंसी ने भद्र को ‘शोन अरेस्ट’ किये जाने से संबंधित दस्तावेज अदालत में पेश किया. साथ ही आरोपी को चार दिनों की अपनी हिरासत में लेने का आवेदन भी किया. हालांकि, भद्र के वकील ने इसका विरोध किया और अपने मुवक्किल को जमानत देने की अपील की. इधर, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने भद्र को फिलहाल राहत नहीं दी. उसकी जमानत का आवेदन स्वीकार नहीं किया. सुनवाई के दौरान भद्र के वकील सलीम रहमान ने कहा : मेरे मुवक्किल के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज किये गये मामले में जमानत पाने की संभावना को देखते ही सीबीआइ भद्र को गिरफ्तार करने के लिए तत्पर हो गयी. यदि ऐसा नहीं था, तो मामले के इतने दिनों में सीबीआइ ने भद्र को गिरफ्तार व हिरासत में लेने की कोशिश क्यों नहीं की थी? वहीं, सीबीआइ की ओर से जवाब में कहा गया कि प्राथमिक स्कूलों में हुईं नियुक्तियों के घोटाले में कुछ ऐसे तथ्य मिले हैं, जो भद्र के पक्ष में नहीं हैं. उनकी ओर से आरोप लगाया गया कि मामले के अन्य आरोपियों संतू गांगुली, कुंतल घोष की तरह ही ‘कालीघाटेर काकू’ ने भी अयोग्य अभ्यर्थियों से रुपये वसूले थे और इन उम्मीदवारों की सूची मामले के अहम आरोपी व पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भेजी थी. दोनों पक्षों की ये दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश प्रशांत मुखर्जी ने कहा : मामले की सुनवाई के पहले दिन से ही सीबीआइ भद्र को अपनी हिरासत में लेने का आवेदन कर रही है.सवाल यह है कि यदि आरोपी सशरीर कोर्ट में हाजिर नहीं होगा, तब केंद्रीय जांच एजेंसी क्या करेगी? विगत दिनों जो हुआ, इसके लिए सीबीआइ उत्तरदायी नहीं है. बार-बार हाजिर होने के दिये निर्देश के बावजूद भद्र की कोर्ट में सशरीर हाजिरी नहीं हुई है. अदालत सब देख व समझ रही है.
सुजय कृष्ण भद्र के अधिवक्ता ने किया दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत का उल्लेख
सुनवाई के दौरान ही भद्र के वकील ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत का उल्लेख किया. इसपर, न्यायाधीश ने कहा कि सभी मामले एक जैसे नहीं होते और सभी का फैसला समान सुनाना संभव भी नहीं. इस मामले में भी ऐसा ही है. अदालत यह देखेगी कि भद्र को कोर्ट में सशरीर हाजिर कैसे कराया जाये. हालांकि, सीबीआइ ने आरोपी को उनकी हिरासत में भेजे जाने का आवेदन किया है. इसपर कानून के हिसाब से चलना होगा. हालांकि, सीबीआइ की ओर से कहा गया है कि ‘शोन अरेस्ट’ किये जाने वाले भद्र के स्वस्थ होने पर ही उसे हिरासत में लिया जायेगा. गौरतलब है कि सीबीआइ के मामले में राहत पाने के लिए भद्र ने कलकत्ता हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका की थी, जिसकी सुनवाई सोमवार को हुई. हालांकि, हाइकोर्ट से भी उसे राहत नहीं मिल पायी. न्यायाधीश जयमाल्य बागची व न्यायाधीश गौरांग कांत की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान कहा गया कि वह एक अन्य मामले में हिरासत में है और निचली अदालत ने प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. इसका मतलब यह है कि आरोपी पर सीबीआइ ने अपना नियंत्रण लिया है या एक तरह से यह गिरफ्तारी के समान है, इसलिए अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
इलाज को लेकर भी कोर्ट ने दिया निर्देश
बार-बार सुजय कृष्ण भद्र द्वारा अस्वस्थता का हवाला दिया जा रहा है. ऐसे में इस दिन हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने निर्देश दिया है कि भद्र की चिकित्सा जांच केंद्रीय सरकार द्वारा परिचालित किसी अस्पताल में हो. साथ ही आरोपी की चिकित्सा को लेकर चिकित्सकों की एक मेडिकल बोर्ड का गठन हो और उसकी चिकित्सा से संबंधित रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जाये.
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