भोरे. जम्मू-कश्मीर के रजौरी में शहीद हुए भारतीय सेना के जवान मनीष तिवारी के घर सांत्वना देने वालों का तांता लगा रहा. बच्चों के रोने की आवाज सुनकर उनकी आंखें भर जा रही हैं. उनके पैतृक गांव जिले के भोरे प्रखंड का तिवारी चफवा गांव अपने बेटे की शहादत पर गमगीन है. गांव के रहने वाले सेवानिवृत्त सूबेदार मार्कंडेय तिवारी के बेटे मनीष की तैनाती जम्मू-कश्मीर के रजौरी में थी.
शहीद के पिता ने सरकार से अपने दूसरे बेटे के लिए सेना में मांगी नौकरी
सोमवार की सुबह दुश्मन की गोली से मनीष तिवारी शहीद हो गये. इसके बाद से ही पिता मार्कंडेय, मां ललिता देवी, भाई अमित तिवारी और पत्नी श्रेया तिवारी का रो-रोकर बुरा हाल है. मनीष के बेटे वैभव की आखों से भी आंसू लगातार बह रहे हैं. लेकिन पिता की मौत का बदला लेने का गुस्सा उसकी आंखों में अभी से ही दिखाई दे रहा है. शहीद मनीष के पिता ने सरकार से अपने दूसरे बेटे अमित तिवारी के लिए सेना में नौकरी की मांग की है. मंगलवार की शाम गांव में ही पूरे सम्मान के साथ शहीद मनीष तिवारी का अंतिम संस्कार किया गया. बाहर सांत्वना देने बैठे लोगों की आंखें भर जा रही थीं. यह दृश्य शहीद मनीष के घर का है, जहां गांव के लोग गम में डूबे हैं. किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनके बीच का एक लड़का दुश्मनों का शिकार हो गया है. पूरा परिवार इस घटना से मर्माहत है. पिता जो पहले फौज में रह चुके हैं, वह घर के लोगों को ढाढ़स बंधा रहे हैं. दिलासा दिला रहे हैं. गांव के लोगों में मनीष के जाने का गम तो है, लेकिन देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले जवान के लिए गर्व भी है.
मां भारती के लाल ने देश को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया
थाना क्षेत्र के तिवारी चकवा निवासी राजौरी में शहीद मनीष कुमार तिवारी ने अपने 11 साल की सैनिक सेवा के दौरान सिपाही से लेकर हवलदार तक का सफर तय कर लिया था. 2013 में उनकी प्रथम बहाली आर्मी के एयर डिफेंस कोर में एक सिपाही के रूप में हुई थी, लेकिन उन्होंने निरंतर अपनी लगन और मेहनत की बदौलत मात्र 11 साल में ही सिपाही से लांस नायक, उसके बाद नायक तथा चालू वर्ष के शुरुआत में ही हवलदार के रूप में प्रोन्नति प्राप्त की थी. परिजन बताते हैं कि मनीष तिवारी ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद अभी स्नातक में अपना दाखिला लिया ही था, तभी आर्मी के डिफेंस कोर में सिपाही के पद पर बहाल हो गये. उनकी प्रथम पदस्थापना अंबाला में हुई थी. उसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी सैन्य सेवा के तहत पदस्थापित होते हुए उनकी यूनिट पांच माह पूर्व ही ग्वालियर से जम्मू-कश्मीर के राजौरी में तैनात हुई थी. जहां मां भारती के इस लाल ने देश को अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया.दुश्मनों को मारकर पिता की शहादत का लूंगा बदला
भोरे. शहीद जवान मनीष के 10 साल के बेटे वैभव ने अभी से ही अपने पिता की मौत का बदला लेने की ठान ली है. देश के दुश्मनों को चुनौती देते हुए वैभव ने कहा कि वह बड़ा होकर सेना में भर्ती होगा और सौ पाकिस्तानियों को मारकर पिता की मौत का बदला लेगा. वैभव ने कहा कि वह हत्यारों से बिल्कुल नहीं घबरायेगा और अपने पिता की मौत का चुन-चुनकर बदला लेगा. वैभव की बातें सुनकर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो रही हैं. इस दौरान वहां मौजूद लोगों की आंखें भी छलक उठीं. वहीं, शहीद मनीष का छोटा बेटा शौर्य, जो अभी 5 साल का है, घर के बाहर आम दिनों की तरह खेल रहा था. घर के अंदर जब उसके कदम पड़ रहे थे. मां और दादी की रोने की आवाज सुनकर वह भी रोने लग रहा था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है