Education: देश के अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क को लागू करना चाहिए. देश में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा एक समान होनी चाहिए. ऐसे में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को नयी शिक्षा नीति को समग्र रूप से लागू करना चाहिए. सरकार को इस बात से परेशानी नहीं है कि मदरसा के जरिए छात्रों को शिक्षा मिले. लेकिन मदरसा में भी नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क लागू होना चाहिए.
बुधवार को नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन के 20वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बात कही. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी समुदाय को अल्पसंख्यक संस्थान खोलने की मंजूरी देता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का 19 जुलाई 2020 को लागू किया गया. इसका मकसद देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाना है ताकि भारतीय शिक्षा भावी जरूरतों के लिहाज से चल सके. विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सभी लोगों को मिलकर काम करना होगा.
शिक्षा में तकनीक का बढ़ा है महत्व
शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश के सभी शिक्षण संस्थानों में एथिक्स, नैतिक मूल्य और तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देना जरूरी है. इससे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान खुद को दूर नहीं रख सकते हैं. सरकार की प्राथमिकता तकनीक को बढ़ावा देना है. नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, स्कूल स्तर से लेकर वोकेशनल, ट्रेनिंग और कौशल विकास में क्रेडिट सिस्टम को बढ़ावा देना है.
नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क स्कूली पाठ्यक्रम के विकास से लेकर शिक्षकों के शिक्षण संबंधी तरीका तैयार करने में मददगार साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि देश में पढ़ाने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा का मानक एक समान होना चाहिए. अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को छात्रों को एक करने की दिशा में काम करना चाहिए. हालांकि इसकी शुरुआत हुई है, लेकिन इस गति को तेज करने की आवश्यकता है. देश में 30 सितंबर 2024 तक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों की संख्या 14049 है.