गोपालगंज. गंडक नदी से बालू व मिट्टी की खुदाई का मामला सामने आने के बाद डीएम प्रशांत कुमार सीएच एक्शन मोड में आ गये. डीएम ने तत्काल जिला खनन विकास पदाधिकारी बलवंत कुमार को मौके पर जाकर स्थिति का आकलन कर उसका समाधान करने का आदेश दिया.
ग्रामीणों ने खुदाई का काम रुकवाया
उधर, बुधवार को रोज की तरह जब जेसीबी मिट्टी व बालू की खुदाई करने पहुंची, तो आसपास के लोगों ने विरोध किया. खुदाई का कार्य रोक दिया. ग्रामीण नदी से मिट्टी व बालू काटने का विरोध करने लगे. सैकड़ों की संख्या में पहुंचे ग्रामीणों के विरोध को देख काम ठप हो गया. इससे पहले ग्रामीणों ने मुखिया प्रतिनिधि जयप्रकाश प्रसाद, सरपंच प्रतिनिधि हरिनारायण पटेल व दुर्गा प्रसाद सिंह के नेतृत्व में सिपाया में बैठक की. निर्णय लिया कि किसी भी स्थिति में नदी से बालू का काटने नहीं दिया जा सकता है. बाढ़ की तबाही से जिले को बचाने के लिए ग्रामीणों ने कमर कस लिया और आंदोलन पर उतर आये. इसमें प्रदीप कुमार मांझी, स्वामीनाथ यादव, रवीश चंद्र कुमार, हरिचरण पटेल, सखीचंद्र पटेल की भूमिका प्रमुख थी.
अधिकारियों ने महज दो फुट बालू काटने का दिया निर्णय
खनन विकास पदाधिकारी बलवंत कुमार के साथ विशंभरपुर थानेदार हेमंत कुमार के पुलिस मौके पर पहुंची. जहां ग्रामीणों ने विरोध किया. कटाई पर रोक लगाने की मांग पर अड़ गये. ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कहा कि अगर कटाव हुआ, तो बांध पर खतरा उत्पन्न हो जायेगा. ग्रामीणों के आक्रोश का सामना अधिकारियों को भी करना पड़ा. उसके बाद जलसंसाधन विभाग के विशंभरपुर कैंप से इंजीनियरों को बुलाया गया. इंजीनियरों के साथ बालू के कटाव को लेकर घंटों मंथन हुआ. कार्यपालक अभियंता पवन कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि साइट को बदल कर काटा जाये. नदी के भीतर से काटा जाये, तो बेहतर होगा. चैनल के पास काटने से बाढ़ का खतरा हो सकता है. उसके बाद पांच सौ फुट चैनल से दूर होकर दो फुट में ही बालू को काटने का निर्णय लिया गया.
सैनिक स्कूल के निर्माण में जुटी एजेंसी काट रही थी बालू
सिपाया में बन रहे सैनिक स्कूल के कैंपस को भरने के लिए एजेंसी खनिज विकास पदाधिकारी के यहां से एनओसी लेकर नदी में कटवा रही है. नदी में बने पर्कुपाइन स्क्रीन के सिल्ट को काटा जा रहा था. जेसीबी लगाकर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रॉली बालू व मिट्टी को काटा जा रहा था. यह मिट्टी व बालू पायलट चैनल से डिपाॅजिट बालू था. इसे काटने से बाढ़ के दिनों में नदी में पानी का दबाव बढ़ने के साथ ही तटबंध पर दबाव बनाने, टूटने का खतरा से इनकार नहीं किया जा सकता था. जल संसाधन विभाग को इससे आपत्ति थी कि वे चैनल के जमा सिल्ट को कटवा रहे हैं. वे नदी में अंदर जाकर बालू का काटें, कोई आपत्ति नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है