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हाइकोर्ट ने गृहवधू हत्याकांड के तीन आरोपियों की सजा रद्द की

कूचबिहार जिले के तूफानगंज में 2015 में एक गृहवधू की हत्या की गयी थी

कोलकाता. कूचबिहार जिले के तूफानगंज में 2015 में एक गृहवधू की हत्या की गयी थी. इस मामले में जिले के सेशन कोर्ट ने दिसंबर 2017 में घटना के आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी. निचली अदालत द्वारा फैसला देने के बाद मामले के आरोपियों को कलकत्ता हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाइकोर्ट ने हत्याकांड के तीन दोषियों को निर्दोष करार देते हुए बरी करने का आदेश दिया. हाइकोर्ट के न्यायाधीश जयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति गौरांग कांत की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि जिन सबूतों के आधार पर तीनों को दोषी ठहराया गया था, वे स्वीकार योग्य नहीं हैं. गौरतलब है कि शादी के 10 महीने बाद अलीमा बीबी अपने ससुराल में आग की चपेट में आ गयी थी. कुछ दिनों तक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद अलीमा के पिता ने दामाद नबीर हुसैन और ससुराल के आठ अन्य लोगों के खिलाफ मारपीट और हत्या की शिकायत दर्ज करायी.उस मामले में पुलिस जांच के बाद सेशन कोर्ट ने अलीमा के पति समेत छह आरोपियों को बरी कर दिया, लेकिन शहजादा बीबी, सबीना बीबी और सैबुद्दीन शेख को उम्रकैद की सजा सुनायी.

गौरतलब है कि इसके बाद तीनों आरोपियों ने 2018 में उच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण मामले के लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया जा सका. उस वक्त हाइकोर्ट ने वकील तृणा मित्रा को कोर्ट मित्र नियुक्त किया और उन्हें दोषियों की ओर से पैरवी की जिम्मेदारी दी. करीब छह वर्ष तक हाइकोर्ट में मामला चलने के बाद न्यायाधीश जयमाल्य बागची की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तीनों आरोपियों बेकसूर करार देते हुए उनके आजीवन कारावास की सजा को रद्द करने का आदेश दिया.

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