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डीप फ्रीजर में 10 दिनों तक पड़ा रहा लावारिश शव, पुलिस प्रशासन रही असंवेदनशील

थाना को शव के डिपोजल को लेकर दो-दो बार पत्राचार किया

सदर अस्पताल उपाधीक्षक ने दो-दो बार कोतवाली थाना को शव डिस्पोजल को लिखा पत्र, पुलिस ने नहीं लिया संज्ञान

– परिजनों को चला पता तो पूरी हुई पुलिसिया कार्रवाई, फिर शव का हुआ अंतिम संस्कार

मुंगेर

जिला विधिक सेवा प्राधिकार के हस्तक्षेप के बाद शहर की सड़क पर पैर में बजबजाती घाव के साथ समय बीता रहे मानसिक रोगी युवक को अस्पताल में तो जगह मिल गयी. लेकिन समुचित इलाज के अभाव में उसने दम तौड़ दिया. जिंदगी से तो उसे मुक्ति मिल गयी. लेकिन उसका शव 10 दिनों तक मार्चरी के डीप फ्रीजर में यूं ही पड़ा रह गया. जबकि अस्पताल प्रबंधन ने कोतवाली थाना को शव के डिपोजल को लेकर दो-दो बार पत्राचार किया. लेकिन कोतवाली पुलिस ने संज्ञान नहीं लिया. आखिर जब परिजनों को पता चला तो पुलिसिया कार्रवाई कर शव प्राप्त किया और उसका अंतिम संस्कार किया गया.

12 नवंबर 2024 को एक 20 वर्षीय मानसिक रोगी सड़क किनारे पड़ा था. पांव में अत्याधिक जख्म होने के कारण उसमें कीड़ा लग गया था. उससे उठने वाली दुर्गंध से आने-जाने वाले राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्कालीन पारा स्वयंसेवक निरंजन कुमार ने 13 नवंबर को आवेदन देकर युवक की उक्त स्थिति से जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव दिनेश कुमार को अवगत कराया. उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए उसी दिन सिविल सर्जन को पत्र लिखा. जिसके बाद युवक को सदर अस्पताल में जगह मिली और उसका इलाज होने लगा. हालांकि वहां की इंचार्ज नर्स के मुताबिक मानसिक रोगी होने के कारण युवक का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा था. जिसकी सूचना उसने अस्पताल उपाधीक्षक को समय-समय पर दिया. लेकिन उचित इलाज के अभाव में वहीं हुआ जो होना था उसकी मौत हो गयी.

दस दिनों तक पड़ा रहा डीप फ्रीजर में शव

संवैधानिक अधिकार है कि मानसिक रोगी, लाचार लोगों का समुचित इलाज एवं मृत शरीर का अंतिम संस्कार हो. उचित इलाज के अभाव में 7 दिसंबर को अज्ञात मानसिक रोगी का सदर अस्पताल में मौत हो गया तो उसके शव को मोर्चरी के डीप फ्रीजर में रख दिया गया. लावारिस व्यक्ति के मृत शरीर का निष्पादन और आवश्यक कार्यवाही करने के लिए सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ रमन कुमार ने विगत 7 दिसंबर को थानाध्यक्ष कोतवाली को पत्र भेजा था. 8 दिन बाद 16 दिसंबर को उपाधीक्षक ने पुन: थानाध्यक्ष कोतवाली एवं आरक्षी अधीक्षक मुंगेर को लिखित सूचना दिया. लेकिन पुलिस प्रशासन ने असंवेदनशील बनी रही.

परिजनों को चला पता तो संपन्न हुआ अंतिम संस्कार

17 दिसंबर की शाम में मृतक के परिजन शहर के रामपुर भिखारी मुहल्ला निवासी राजेश कुमार राम को पता चला कि उसके चाचा का शव पोस्टमार्टम हाउस में पड़ा हुआ है. उन्होंने अस्पताल उपाधीक्षक को आवेदन देकर कहा कि मेरे चाचा जिनका नाम भोला कुमार पिता स्व. टुनटुन राम जो कुछ दिनों से लापता थे. उसका सदर अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई. जिसका पता हमें प्राप्त हुआ है. उन्होंने आग्रह किया कि हमें उनका शरीर सौंप दिया जाए. ताकि उनके शव का दाह संस्कार कर सके. जिसे बाद अस्पताल व पुलिसिया कार्रवाई पूरी होने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया और परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया.

कहते हैं कोतवाली थानाध्यक्ष

कोतवाली थानाध्यक्ष राजीव तिवारी ने बताया कि अस्पताल से 16 दिसंबर को ओडी स्लिप थाना को मिला. थाना के पदाधिकारी जब पोस्टमार्टम कराने के लिए अस्पताल गये तो बोला गया कि आज पोस्टमार्टम नहीं हो पायेगा. जिसके बाद हमलोगों ने पूरा प्रयास कर मृतक की पहचान उसके परिजनों से कराया और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया कर परिजनों को शव सौंपा दिया गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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