पिपरासी. स्थानीय प्रखंड स्थित पिपरासी पंचायत के परसौनी गांव में बुधवार की देर शाम 16 वर्ष बाद गांव पहुंचे युवक को देख उसके माता पिता के आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. वहीं युवक को देखने के लिए पंचायत के मुखिया राजकुमार साहनी, बीडीसी नीरज शर्मा के साथ अन्य ग्रामीण पहुंचे. इस संबंध में जानकारी देते हुए जनप्रतिनिधियों ने बताया कि युवक मनीष गिरी आठ वर्ष के उम्र में 2008 में घर से नाराज होकर भाग गया था. उसके जाने के बाद उसकी माता नीतू देवी और पिता उमेश गिरी काफी खोजबीन किए, लेकिन वह नहीं मिला. थक हार कर परिजनों को यह लगा की शायद उसकी मृत्यु कही हो गयी हो. वहीं युवक ने बताया कि घर से नाराज हो कर वह ट्रेन से किसी तरह बैंगलोर चला गया. वहां पर वह इधर-उधर घूमते हुए किसी तरह पेट भरता था. वह बाद में बिल्डिंग करने वालों के साथ लेबर का काम करते-करते बिल्डिंग का मिस्री हो गया.
केवल अपने पंचायत और पिता का नाम याद
उसे केवल अपने पंचायत और पिता का नाम याद था. लेकिन वह कैसे घर जाए, किस जिला में घर है यह सब मालूम नहीं था. इसी तरह एक माह पूर्व वह अपने फेसबुक के माध्यम से अपने पंचायत के मुखिया और बीडीसी को देखा. इससे वह सर्च किया तो अंदेशा हुआ कि शायद यही मेरे गांव के हो सकते है. इस पर उसने फेसबुक के माध्यम से अपने यहां के जनप्रतिनिधियों का नंबर लेकर अपने पिता के बारे में जानकारी लिया. जब उसे पता लगा कि उसके माता पिता जिंदा है तो वह घर आने के लिए सोचने लगा. जनप्रतिनिधियों के नंबर से पता लेकर वह घर पहुंचा. उसे जिंदा देख कर घर वालों के आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे. वहीं युवक की मां ने बताया कि उसे हमेशा लगता था कि उसका पुत्र कही न कही जिंदा है.
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