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कृत्रिम आभूषण बना हुनर को निखार रहीं गांव की लड़कियां

ग्रामीण इलाके की महिलाएं व युवतियां अब रसोई से बाहर निकलकर हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रही हैं.

खैरा. ग्रामीण इलाके की महिलाएं व युवतियां अब रसोई से बाहर निकलकर हर क्षेत्र में बेहतर काम कर रही हैं. इसी कड़ी में खैरा प्रखंड क्षेत्र की महिलाएं आर्टिफिशियल ज्वेलरी निर्माण में लग गयी हैं. महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने एवं उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित जन शिक्षण संस्थान जमुई क्षेत्र की महिलाओं को आर्टिफिशियल ज्वेलरी की ट्रेनिंग दे रहा है. इस प्रशिक्षण महिलाएं तरह-तरह की आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाकर खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं. खैरा थाना के समीप आभूषण निर्माण का प्रशिक्षण दे रहीं जेएसएस ट्रेनर कोमल कुमारी गुप्ता बताती हैं कि इस ट्रेनिंग को कस्टम ज्वेलरी भी कहते हैं. इसके तहत महिलाओं को लाह की चूड़ी, भांगड़ा चूड़ी, जालीदार चूड़ी, कान झुमका, कान टॉप्स, नथ, टीका, गले का सेट और अन्य ज्वेलरी निर्माण की ट्रेनिंग दी जा रही है. महिलाएं रुचि लेकर इसे सीख भी रही है. इसके बाद इन्हें भारत सरकार द्वारा अनुमोदित एक दक्षता प्रमाण पत्र भी मिलेगा. इनके बनाए हुए आभूषण कस्टमर की पहली पसन्द बने, इसके लिए महिलाओं को पैकिंग के गुर भी सिखाये जा रहे हैं. इससे प्रशिक्षित होकर महीने के 5 -7 हजार आसानी से कमाई कर महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगी. वहीं, कोमल बताती हैं कि, महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है. स्वरोजगार से जुड़कर महिलाएं अपने घर को भी संभाल रही हैं. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए जरूरी हैं कि उनमें कौशलपरक शिक्षा समावेशित हो. इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से महिलाएं सशक्त और स्वावलंबी होकर परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकेंगी. अंशुमान, निदेशक (जन शिक्षण संस्थान जमुई)

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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