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एएसआई पर कोर्ट ने लगाया एक लाख का जुर्माना

20 जनवरी 2025 को कोर्ट ने एएसआई को सदेह उपस्थित होने का अंतिम मौका

– एएसआई की पत्नी ने 2014 में भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में दायर किया था वाद – 20 जनवरी 2025 को कोर्ट ने एएसआई को सदेह उपस्थित होने का अंतिम मौका – 07 सितंबर 2015 को कोर्ट ने मुकदमा खर्च के लिए प्रति माह 06 हजार रुपया देने का दिया था आदेश सुपौल. कुटुंब न्यायालय (फैमिली कोर्ट) में चल रहे मुकदमे में पत्नी का भरण-पोषण भत्ता बंद करना एक एएसआई को महंगा पड़ा. कोर्ट ने दरभंगा में पदस्थापित एएसआई रसिक लाल यादव को एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है. साथ ही उन्हें अगली सुनवाई की तिथि 20 जनवरी 2025 को कोर्ट में सदेह हाजिर होने का अंतिम मौका दिया गया है. एएसआई की पहली पत्नी असलता देवी के वरीय अधिवक्ता नागेन्द्र नारायण ठाकुर ने बताया कि 2014 में आवेदिका ने अपनी और अपनी दो बेटियों की मेंटनेंस के लिए साल 2014 में परिवार न्यायालय में रास लाल यादव पर वाद दायर किया था. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 07 सितंबर 2015 को कोर्ट ने पीड़िता को तत्काल मुदकमे खर्च के तौर पर 06 हजार रुपये प्रति माह भत्ता देने का आदेश दिया. आदेश के बाद कुछ दिनों तक एएसआई ने मासिक भत्ता दिया. लेकिन उसके बाद देना बंद कर दिया. इससे आवेदिका और उसकी बेटियों को काफी परेशानी होने लगी. इस केस में शुक्रवार को अंतिम सुनवाई होनी थी. इसमें एएसआई को उपस्थित होना था, लेकिन वह नहीं आए. इसपर परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश राहुल उपाध्याय ने रसिक लाल यादव पर 01 लाख रुपये का अर्थदंड लगाते हुए 20 जनवरी को कोर्ट में सदेह उपस्थित होने का अंतिम मौका दिया है. वहीं कनीय अधिवक्ता विद्याकर मंडल ने बताया कि विपक्षी द्वारा भुगतान नहीं किये जाने के कारण एरयिर की राशि 1.40 लाख हो गई और आवेदिका को मुकदमा के लिए भाग-दौड़ करना मुश्किल हो रहा था. इस पर कोर्ट ने एएसआई पर जुर्माना लगाया है.

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