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कापिल मठ का वार्षिकोत्सव आज, विभिन्न जगहों से पहुंचे श्रद्धालु

बावन बीघा के कापिल मठ में आयोजन

मधुपुर. शहर के बावनबीघा स्थित कापिल मठ परिसर में आयोजित तीन-दिवसीय उत्सव के दूसरे दिन सामूहिक पाठ में अनुयायी शामिल हुए. देश के विभिन्न राज्यों से उत्सव में शामिल होने मठ के शिष्य व श्रद्धालु पहुंचे है. शनिवार को वार्षिकोत्सव का मुख्य समारोह आयोजित किया जायेगा. जिसमें सुबह आठ बजे से सामूहिक पाठ होगा. इधर, शुक्रवार को सद्गुरु स्वामी भाष्कर अरण्य गुफा द्वार पर आकर शिष्यों को दर्शन दिये. इस अवसर पर स्वामी भाष्कर आरण्य ने कहा कि हमारे उत्सव के आमंत्रण पत्र में पूजा और उत्सव दो शब्द ही है. जिस धार्मिक अनुष्ठान से सात्विक सुख उत्पन्न होता है, वही उत्सव है. इस जगत में सभी सुख चाहते हैं, दुख कोई चाहता नहीं. कहा कि मानसिक सुख के भीतर भी सात्विकता का तारतम्य है. अन्य को दु: ख देकर भी कई लोग सुख पाते हैं. कोई भूखे को अन्नदान कर सुख पाता है. कोई उसका शोषण कर धन संचित कर सुख पाता है. श्रेष्ठ सुख कौन सा है ?. शांति सुख ही वर या श्रेष्ठ है. स्वामी जी ने कहा कि शांति शब्द निषेधमूलक है. अर्थ है त्रिविध दुख की निवृत्ति या प्रशांति. शांति ही स्थायी सुख है और इससे हमें भी सुख है औरों को भी सुख है. शांति सुख का अर्थ है उस उद्रेक की निवृत्ति होना ऐसा होने पर फिर अवसाद या थकान आती नहीं और शांति सुख स्थायी होता है. इस शांति सुख का पथ दिखा गये हैं परमर्षि कपिल. यह पथ है आध्यात्मिक या दार्शनिक पथ. उन्होंने कहा कि कौन सा मनोभाव लेकर जायेंगे ?. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधयोष्ठा इत्यादि. इन्हें लेने से हुआ अष्टांग योग. यम-नियम हुए अहिंसा, सत्य, अस्तेय इत्यादि. इन सब का अभ्यास कर अग्रसर हुआ जाता है. शुरू में ही तो चित्त स्थिर होता नहीं है, उसे पकड़ने की वस्तु देनी पड़ती है. वितर्क या देशाश्रित कोई मूर्ति या जप आदि जिसे की आलंबन के रूप में लेना होता है. विचार का वाहन है वितर्क. इसलिए स्वाध्याय का प्रयोजन होता है. जप में मंत्र होता है स्मारक. भीतरी वस्तु का स्मरण करो स्मरण करो यही कहता है. मैं को ही अंत में आलंबन के रूप में लेना होता है आत्मा ही ब्रह्म है जो आत्मबोध में प्रतिष्ठित है. वहीं ब्रह्म है. इधर, वार्षिक उत्सव को लेकर मठ की सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है. उत्सव के दौरान पाठ के उपरांत हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं में खिचड़ी, बुंदिया व सब्जी प्रसाद के रूप में ग्रहण करेंगे. ————— शांति सुख का पथ दिखा गये हैं परमर्षि कपिल : स्वामी भाष्कर आरण्य

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