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शराब तस्करों पर कानून का शिकंजा, स्पीड ट्रायल से मिल रही सजा

जिले में शराब माफिया और धंधेबाजों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. शराब जब्ती व उसके सेवन के मामले में अदालत में स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई की जा रही है.

समस्तीपुर : जिले में शराब माफिया और धंधेबाजों पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है. शराब जब्ती व उसके सेवन के मामले में अदालत में स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई की जा रही है. वर्ष 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद उत्पाद विभाग के द्वारा जिला अदालत से स्पीड ट्रायल के तहत 94 लोगों को 5 से 10 वर्ष की सजा दिलाई गई. दो शराब धंधेबाजों को आजीवन कारावास की सजा हुई. दोबारा शराब पीने के आरोप में 128 आरोपितों को 1 वर्ष कारावास की सजा हुई. पुलिस व कानून की इस कार्रवाई से धंधेबाजों में हड़कंप मच गया है. बता दें कि पहले ज्यादातर मामलों में प्रभावी कार्रवाई नहीं होने की वजह से तस्कर जल्द ही जमानत पर रिहा हो जाते थे. लेकिन अब स्पीड ट्रायल के चलते आरोपितों को तारीख पर न्यायालय में हाजिरी लगानी पड़ती है. पुलिस व उत्पाद विभाग के द्वारा धंधेबाजों के खिलाफ कोर्ट में चल रहे मुकदमों की देखरेख, तारीख व गवाहों पर नजर रखी जा रही है. ताकि, साक्ष्य के अभाव में कोई भी धंधेबाज गवाहों को प्रभावित करने न्यायालय में चल रहे मुकदमे को कमजोर न करने पाये.

शराब माफियाओं के 36 भूमि भवन सील

शराब माफिया और धंधेबाजों के अपराध से अर्जित संपत्ति भी पुलिस के रडार पर हैं. जिले में उत्पाद विभाग के द्वारा अब तक शराब के आरोप में पकड़े गये धंधेबाजों की 36 भूमि व भवन को सील किया गया है. इसमें से आठ भूमि भवन के मामलों में 10 लाख रुपये जुर्माना लेकर निष्पादन हुआ है. बाकी 28 मामले भी विचाराधीन है.

अपराध के दलदल में फंस रहे युवा वर्ग

राज्य में शराबबंदी कानून के आठ साल का वक्त गुजर गया. लेकिन, शराब की तस्करी और पीने-पिलाने का दौर समाप्त नहीं हो रहा है. पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम लगातार कार्रवाई कर रही है. लेकिन, तस्करों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. कारण है कि इस धंधे में कम पूंजी और मुनाफा कई गुणा अधिक है. अपराध के दलदल में बड़े पूंजी वाले माफिया किस्म के व्यक्ति मालामाल होने लगे. ऐसा नहीं है कि पुलिस निष्क्रिय रही. पुलिस भी सक्रियता से ऐसे धंधेबाजों के पीछे लगी रही. इसी का नतीजा है कि शराब की बड़ी खेप और कई धंधेबाज पकड़े गये. लेकिन, विडंबना है कि इतनी सख्ती के बावजूद धंधेबाज पनप रहे हैं. कम समय से अधिक धन कमाने की लालच में युवा वर्ग इस धंधे में उतर गये हैं. तस्करों में सबसे अधिक 16 से 30 वर्ष के युवा शामिल हैं.

वर्ष 2016 से 17 दिसंबर 2024 तक शराब तस्करी के विरुद्ध कार्रवाई

कुल छापेमारी : 66373कुल अभियोग दर्ज : 11476कुल गिरफ्तार व्यक्ति : 11044

जेल, हाजत : 4064जब्त अवैध देशी शराब : 345020.789

जब्त अंग्रेजी शराब 200558. 302जब्त वाहन : 252

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शराब धंधेबाजों के खिलाफ मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई की जा रही है. जिन जगहों पर शराब धंधेबाजों की सूचना मिल रही है. वहां उत्पाद विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है. साथ शराब तस्करी के गंभीर मामलों में आरोपितों के विरुद्ध न्यायालय में स्पीड ट्रायल चलाकर सजा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है. जल्द फैसला होने व शराब तस्करों को सजा मिलने से इससे संबंधित मामलों में कमी आएगी और धंधेबाजों का मनोबल टूटेगा.

शैलेंद्र चौधरी, उत्पाद अधीक्षक, समस्तीपुर

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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