Delhi Election : दिल्ली में 15 वर्षों तक शासन करने वाली कांग्रेस पिछले 11 सालों से सियासी संकट से जूझ रही है. अन्ना आंदोलन के बाद आम आदमी पार्टी के गठन के बाद कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब हो गयी कि उसे अब मुख्य मुकाबला में भी नहीं माना जा रहा है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का एक कैंडिडेट भी विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी. जबकि कांग्रेस के पास अपने पुराने सीएम शीला दीक्षित की विरासत रही है. शीला दीक्षित के काम को लेकर ही आज भाजपा और कांग्रेस दोनों आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश करती है. जब भी उसे पहले की दिल्ली और अब की दिल्ली की तुलना करनी होती है, तो शीला दीक्षित के कार्यकाल से तुलना होना लाजिमी हो जाता है.
मुख्य मुकाबला में बने रहने की रणनीति पर काम
एक ओर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच अभी से ही दिल्ली में कड़ा मुकाबला दिख रहा है, वहीं कांग्रेस भी इस बार मुख्य मुकाबला में बने रहने की रणनीति पर काम कर रही है. इसी के तहत उन्होंने कद्दावर नेताओं को विभिन्न विधानसभा क्षेत्र से उतारने की घोषणा कर चुकी है. मुख्यमंत्री के खिलाफ भाजपा से पहले अपने उम्मीदवार का ऐलान कर यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि वह मुख्य मुकाबला में है. कांग्रेस ने न्याय यात्रा में मिले फीडबैक के आधार पर अपनी मैनिफेस्टो को तैयार कर रही है. उम्मीदवारी भी न्याय यात्रा में मिले फीडबैक के आधार पर तैयार किया जा रहा है. पार्टी के नेता दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किये जा रहे घोषणा पत्र को न्याय घोषणापत्र बता रहे हैं.
न्याय यात्रा के दौरान मिले फीडबैक होंगे शामिल
प्रदेश घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष अनिल चौधरी न्याय घोषणापत्र की तैयारी को लेकर उप समितियों के साथ दो राउंड की बैठक कर चुके हैं. इसमें उन तमाम मुद्दो को शामिल किया गया है, जो न्याय यात्रा के दौरान लोगों से मिले हैं. आम लोग की परेशानी, बेरोजगारी, खस्ताहाल सड़क, दिल्ली में कूड़े का पहाड़, प्रदूषण, पानी की समस्या जैसी शिकायतें लगभग सभी जगह से आयी है. इन सब के अलावा बुजुर्गों की समस्या, महिलाओं की समस्या सहित क्षेत्रवार समस्याओं को भी चिन्हित कर उसे न्याय घोषणापत्र में शामिल किया जा रहा है. जल्द ही इसे अंतिम रूप देकर जनता के समक्ष लाया जाएगा, जिससे लोगों में इसका प्रचार-प्रसार किया जा सके. बताया जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और भाजपा की ओर से दिल्ली की जनता के लिए जो मुफ्त वादे किये जा रहे हैं, उससे कहीं अधिक वादे कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी शामिल हो सकता है.