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साहित्य के प्रति प्रेम से समाज की बुराइयों को दूर किया जा सकता है : राजा

- साहित्य की दुनिया मंच की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ

साहिबगंज. साहित्य के प्रति प्रेम और समर्पण समाज से बुराइयों को दूर करने का सर्वोत्तम माध्यम है. हम जैसे ही अपने आप को साहित्य के प्रति समर्पित करते हैं, हमारे अंदर की कई प्रकार की दुर्भावनाएं स्वत: दूर हो जाती है. साहित्य केवल मां की कल्पना नहीं अपितु समाज का आईना भी है. उपरोक्त बातें दो दिवसीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राजमहल विधायक एमटी राजा ने कही. विधायक ने कहा कि साहित्य केवल समाज का दर्पण ही नहीं बल्कि मानसिक और शारीरिक विकारों को दूर करने का एक प्रयास भी है. मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल श्रीवास्तव के प्रयासों की सराहना करते हुए विधायक ने कहा कि साहिबगंज जैसे साहित्यिक रूप से मृतप्राय शहर में फिर से साहित्य की अलख जगाना अपने आप में एक मिसाल है. साहिबगंज शहर में यह तीसरा राष्ट्रीय वार्षिकोत्सव और कवि सम्मेलन संपन्न होने जा रहा है जिसमें देश के कई भागों से रचनाकार आए हुए हैं. साहिबगंज जैसे सुदूर भारती क्षेत्र में इतनी दूर-दूर से रचनाकारों का समागम करवाना मंच की सबसे बड़ी सफलता है. मंच के मुख्य संरक्षक प्रणय कुमार ने कहा कि साहित्य हर-एक के मन में बसा हुआ है. फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोग इसे शब्दबद्ध और लब्बद्ध कर पाते हैं और कुछ अपनी भावनाओं को अन्य रूपों में प्रकट करते हैं. इससे पूर्व राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ राजमहल विधायक मोहम्मद ताजुद्दीन, झामुमो के जिलाध्यक्ष शाहजहां अंसारी, साहित्य की दुनिया के राष्ट्रीय संरक्षक प्रणय कुमार, राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल श्रीवास्तव और महासचिव सुधीर कुमार द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. उद्घाटन सत्र के बाद अपराह्न 2:00 बजे से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें साहिबगंज शहर के विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के अलावा रोहित कुमार अम्बष्ट, सुनीता झा, मधुबाला शांडिल्य, बिंदु श्रीवास्तव ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया. दोपहर के कार्यक्रम का संचालन नागपुर महाराष्ट्र की कवयित्री और मंच की पूर्व महासचिव प्रीति शुक्ला ने किया. कार्यक्रम का दूसरा सत्र देर शाम से देर रात तक जारी रहा. दूसरे दिन भी कवि गोष्ठी के आयोजन के साथ-साथ सम्मान समारोह आयोजित किए जाएंगे. बॉक्स … तब देखा संविधान हमारा गीता ही तो पढ़ता है… कविता में लोगों को झकझोर दिया साहिबगंज. राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में समस्तीपुर से आयी कवयित्री सृति झा की कविता देखो संविधान हमारा गीता ही तो पढ़ता है… ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया. ओज रस की कविता में अपनी अलग पहचान स्थापित करने वाली सृति झा ने अपनी तमाम कविताओं से उपस्थित श्रोताओं को सोचने पर विवश कर दिया. राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के पहले सत्र में कविता पाठ करते हुए दुमका के रोहित अम्बष्ट ने भी खूब तालियां बटोरी. दोपहर 2:00 बजे से आयोजित कवि सम्मेलन के पहले सत्र में सिमडेगा की बिंदु श्रीवास्तव, बेगूसराय की सुनीता झा, दुमका के रोहित अम्बष्ट, गोड्डा की मधुबाला शांडिल्य के अलावा मुख्यमंत्री उत्कृष्ट कन्या विद्यालय पोखरिया की छात्रा शालू कुमारी एवं आस्था कुमारी, पब्लिक उच्च विद्यालय के छात्र अंकुर कुमार, राजस्थान मध्य विद्यालय के छात्र हरीश कुमार ने भी कविता पाठ से दर्शकों का दिल जीत लिया. कवि सम्मेलन का दूसरा सत्र शाम 6:00 बजे से देर रात तक आयोजित किया गया. दूसरे सत्र में बतौर मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक अमित कुमार सिंह, वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री बजरंगी प्रसाद यादव की उपस्थिति में काव्य पाठ का आयोजन किया गया.

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