Rourkela News: राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के ज्ञानार्जन एवं विकास विभाग में शनिवार को प्रथम विश्व ध्यान दिवस मनाया गया. इस अवसर पर एक ध्यान कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यपालक निदेशक प्रभारी (संकार्य) आलोक वर्मा मुख्य अतिथि, जबकि वरिष्ठ विशेषज्ञ (आर्ट ऑफ लिविंग एवं वैदिक धाम संस्थान के निदेशक) स्वामी भास्करानंद जी सत्र के अतिथि वक्ता थे. इस महीने की शुरुआत में, 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव अपनाया है.
अनुलोम-विलोम से विशेष सत्र की हुई शुरुआत
स्वामी भास्करानंद जी ने कहा जैसे हमारे शरीर को भोजन की आवश्यकता होती है, वैसे ही हमारे मन को ध्यान की आवश्यकता होती है. ध्यान या प्राणायाम पिछली कई शताब्दियों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं. यह खुशी की बात है कि संयुक्त राष्ट्र ने इसके महत्व को समझा है और इस दिन को ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया है. स्वामीजी ने उपस्थित लोगों के लिए एक विशेष ध्यान सत्र भी आयोजित किया, जिसकी शुरुआत अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम से हुई. सत्र के दौरान 22 मिनट का मौन ध्यान किया गया. मौके पर कार्यपालक निदेशक (परिचालन) बीआर पलई, कार्यपालक निदेशक (सामग्री प्रबंधन) अनिल कुमार, कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) एस पाल चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा) डॉ जेके आचार्य, कई मुख्य महाप्रबंधकगण, विभागाध्यक्ष और संयंत्र के लगभग 300 कर्मचारी सत्र में उपस्थित थे.
सोचने व निर्णय लेने में ध्यान मददगार : आलोक वर्मा
ध्यान सत्र के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए, आलोक वर्मा ने कहा कि हम जीवन में बहुत सारे उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं और हमारे पास सोचने और निर्णय लेने के लिए बहुत सी चीजें होती हैं. ध्यान उन विचारों को संसाधित करने और उस पर प्रतिक्रिया करने में मदद करता है. श्री वर्मा ने इस अवसर पर अतिथि वक्ता को भी सम्मानित किया. प्रारंभ में, मुख्य महाप्रबंधक (एमएस एवं एचआर-एलएंडडी) पीके साहू ने स्वागत भाषण दिया और जीवन में ध्यान के महत्व को रेखांकित किया. वरिष्ठ प्रबंधक (एचआर-एलएंडडी) अन्नपूर्णा बेहेरा ने सत्र का समन्वय करने के साथ ही धन्यवाद ज्ञापित किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है