रांची़ दहेज के खातिर बहू की हत्या मामले में 26 वर्षों के बाद फैसला सुनाया गया. अपर न्यायायुक्त अरविंद कुमार की अदालत ने शनिवार को आरोपी कोतवाली थाना के तत्कालीन दारोगा बिहार के भोजपुर जिला निवासी रामप्रसन्न दुबे, उनकी पत्नी ललिता देवी व बेटा काशीनाथ दुबे को दोषी पाकर उम्र कैद की सजा सुनायी. साथ ही तीनों पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया. मामले की सुनवाई के दौरान मृतका की मां, पिता, बहन, बहनोई सहित 11 गवाहों को प्रस्तुत किया गया था. इसमें मामले के सूचक दारोगा के बेटे की भी गवाही दर्ज की गयी थी. उल्लेखनीय है कि चार मई 1998 को डोरंडा थाना में कांड संख्या-111/1998 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसमें साजिश रच कर बहू की हत्या करने का आरोप लगाया गया था. उस समय दारोगा राम प्रसन्न दुबे कोतवाली थाना रांची में पदस्थापित थे. मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के 12 वर्ष बाद सितंबर 2011 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी थी. चार्जशीट में दहेज की खातिर हत्या और साजिश रचने का आरोप पाया गया था. वर्ष 2014 में मामला खुला और उसे आगे की सुनवाई के लिए सेशन कोर्ट भेज दिया गया, जहां तीनों आरोपियों पर 24 जुलाई 2015 को दहेज हत्या व साजिश रचने के आरोप में आरोप गठित किया गया था. नवविवाहिता की हत्या गला दबा कर कर दी गयी थी. इस हत्या को लेकर दारोगा रामप्रसन्न दुबे के छोटा बेटा के बयान पर डोरंडा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. उस समय उनके बेटे की उम्र 10 वर्ष थी.
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