कुचायकोट. गोपालपुर थाने के बड़हरा गांव में पुलिस उत्पीड़न की जांच के लिए रविवार को सारण रेंज के डीआइजी नीलेश कुमार ने पहुंचकर जांच की. उनके साथ एसपी अवधेश दीक्षित और स्थानीय पुलिस पदाधिकारी भी मौजूद थे. डीआइजी ने पहले गोपालपुर थाने का दौरा किया, जहां घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली. इसके बाद वे पुलिस स्कॉट के साथ बड़हरा गांव पहुंचे, जहां उन्होंने पांच पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनका बयान दर्ज किया.
धीरेंद्र कुमार कुशवाहा बने गोपालपुर थाने के नये थानाध्यक्ष
वहीं डीआइजी की जांच के बाद गोपालपुर के थानाध्यक्ष आशीष कुमार को निलंबित कर दिया गया. वहीं, मांझा थाने के अपर थानाध्यक्ष रहे धीरेंद्र कुमार कुशवाहा को गोपालपुर का नया थानाध्यक्ष बनाया गया है. एसपी अवधेश दीक्षित ने कार्रवाई की जानकारी दी है. एसपी ने कहा कि बड़हरा कांड में दो पक्षों के बीच जमीन विवाद के मामले में थानाध्यक्ष को निलंबित करते हुए पुलिस केंद्र हाजिर किया गया.
पीड़ितों ने डीआइजी के समक्ष रखीं बातें
डीआइजी के समक्ष पीड़ितों ने पुलिस उत्पीड़न की बातें बतायीं. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने निर्दोष लोगों के खिलाफ गलत तरीके से कार्रवाई की और उन्हें बिना किसी अपराध के जेल भेज दिया. बृजकिशोर भगत, नरेश भगत और लाल बाबू सिंह के परिजनों ने घटना के बारे में विस्तार से बताया. वहीं, योगेंद्र भगत की पुत्री और हरेराम शर्मा की पत्नी पुलिस द्वारा किये गये अत्याचारों के बारे में बताते हुए फफक पड़ीं. महिलाओं ने बताया कि पुलिस ने उनके घरों में घुसकर बेरहमी से पिटाई की और निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया. डीआइजी ने इस मामले में कहा कि बड़हरा गांव में सभी पक्षों से बात की गयी है और घटना की पूरी जानकारी ली गयी है. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस के समक्ष पीड़ितों अपनी बातें खुलकर रखी. डीआइजी ने कहा कि जो लोग पुलिस द्वारा अभियुक्त बनाये गये हैं, उनपर अगली कार्रवाई उनके सुपरविजन के बाद की जायेगी. डीआइजी नीलेश कुमार ने अपनी जांच के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उचित कार्रवाई की जायेगी. गांव के लोगों को पूरा मौका दिया गया कि वे अपने पक्ष को रखें. कुछ महिलाओं ने कहा कि उनकी बेटी जो कह रही है वह सही है. ग्रामीणों की बातों की जांच हो रही है.
पूर्व से चिह्नित घरों में पहुंचे डीआइजी
डीआइजी के दौरे के दौरान यह भी सामने आया कि डीआइजी उन्हीं घरों में गये, जिन्हें पुलिस अफसरों ने पहले से चिह्नित किया था. ग्रामीणों का कहना है कि बड़हरा गांव में लगभग 50 परिवार पुलिस उत्पीड़न से पीड़ित हैं. इन परिवारों में शांति देवी, पुनीता कुमारी, जगपति भगत और दिनेश कुमार ने डीआइजी की जांच पर असंतोष जताया और कहा कि सिर्फ पुलिस जांच से मामला हल नहीं होगा. इन्होने कहा कि डीआइजी उन पीड़ितों से नहीं मिले, कुछ चिह्नित घरों में ही गये. महिलाओं ने सरकार से न्यायिक या मजिस्ट्रेट जांच की मांग की ताकि इस मामले में सच्चाई का पता चल सके और पीड़ितों को न्याय मिल सके.
उपमुख्यमंत्री व मुख्यमंत्री से लगायी निष्पक्ष जांच की गुहार
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि वे उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री पर विश्वास रखते हैं और उन्हें यकीन है कि पुलिस उत्पीड़न में शामिल अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. उनका मानना था कि अगर न्यायिक या मजिस्ट्रेट जांच की जायेगी, तो इस मामले के तह तक पहुंचा जा सकेगा और दोषी अधिकारियों को सजा दिलायी जा सकेगी. इस पूरे घटनाक्रम में बड़हरा के ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है. पुलिस उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाले ग्रामीणों का कहना है कि अगर उन्हें इंसाफ नहीं मिला, तो वे और भी सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर होंगे.
वाहन का हॉर्न व लाइट देखते ही सिहर जा रहे बच्चे
बड़हरा गांव में दिन में वाहन का हॉर्न और रात में गाड़ियों की लाइट देखते ही बच्चे व महिलाएं सिहर जा रहे हैं. महिलाओं का कहना है कि पुरुष सदस्य गांव में घटना के बाद से नहीं रह रहे हैं. बच्चे और महिलाएं रह रहे हैं, लेकिन जैसे ही गांव में किसी वाहन को देख रहे हैं, भागने लग रहे हैं. दहशत का माहौल बना हुआ है.
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