चाईबासा.सोशियो पॉलिटिकल साइंटिस्ट एसोसिएशन कोल्हान की ओर से रविवार को लुपुंगुटु में कोल्हान सोशियो पॉलिटिकल टेक्निकल मीट-24 का आयोजन किया गया. इसमें पश्चिमी सिंहभूम के अलावे सरायकेला-खरसावां, पूर्वी सिंहभूम, रांची व ओडिशा के सीमावर्ती जिले से भी आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. मीट में सामाजिक, आर्थिक व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर मंथन किया गया. बैठक में भावी कार्यक्रमों के लिये जिलावार संयोजक भी मनोनीत किये गये. जिसमें जगन्नाथपुर के कासिरा-बसीरा निवासी कुसुम जेराई को पश्चिमी सिंहभूम जिले का मुख्य संयोजक, सुरेश चंद्र सोय को सरायकेला-खरसावां का संयोजक व रांची जिले से तमाड़ निवासी मुकेश कुमार मुंडा को संयोजक मनोनीत किया गया.
अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी
कार्यक्रम की शुरुआत धरती आबा बिरसा मुंडा, शहीद पोटो हो, ओतगुरु लाको बोदरा व शहीद गंगाराम कालुंडिया को श्रद्धांजलि देकर की गयी. मुख्य वक्ता घनश्याम गागराई ने कहा कि अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के लिये घरों में संविधान रखने की जरूरत है. क्योंकि इसके अभाव से ही समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. हो साहित्यकार डोबरो बुड़ीउली ने आदिवासी समाज की संस्कृति, हासा-भाषा, धार्मिक व सामाजिक समरसता की महत्ता पर प्रकाश डाला व इसे अक्षुण्ण रखने पर बल दिया.समस्याओं के खिलाफ एकजुट होकर कार्य करें
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता दामोदर सिंह हांसदा ने कहा कि समस्याओं से निजात पाना है, तो हमें उसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा. अपने बोंंगाबुरु से जुड़े रहना होगा. मौके पर भरभरिया मानकी चंद्रशेखर बिरुवा, रांची के तमाड़ से आयी देवकी मुंडा, केरा पीढ़ के मानकी सिद्धेश्वर सामड ने कहा कि जल, जंगल व जमीन की सुरक्षा आपसी एकजुटता से ही संभव है.ये थे मौजूद
मौके पर पिलका मुंडा कालीचरण बिरुवा, सुरेश चंद्र सोय, पूर्व मुखिया नूतन बिरुवा, विश्वनाथ तामसोय, घनश्याम गागराई, विपिन तामसोय, बामिया बारी, चंद्रमोहन बिरुवा, कैरा बिरुवा, बासुदेव सिंकु, तिलक बारी, सनातन बिरुवा, सनातन सावैयां, रमेश सावैयां, गोपाल बोदरा, हरीश बोदरा, प्रकाश पूर्ति, हरिन तामसोय आदि मौजूद थे.
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