रांची़ जैन मुनि सुयश सागर जी महाराज ने रविवार को अपर बाजार स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में भक्तों को आशीष दी. उन्होंने कहा कि हम सभी का महाभाग्य का उदय हुआ है, जो सर्वज्ञ की देशना (तीर्थांकरों की वाणी) हमें प्राप्त हो रही है. हम पुण्यशाली जीव हैं. इनमें से बहुत ही ऐसे जीव हैं, जो देशना के अनुसार अपना आचरण बना लेते हैं. कांच का गिलास टूटने में देर लग सकती है लेकिन परिणाम बदलने में देर नहीं लगती. क्षण मात्र में व्यक्ति ऊपर से नीचे आ जाता है, यही विचित्रता है.
कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है
सागर जी महाराज ने कहा कि मनुष्य को शुभ या अशुभ कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है. कर्म का सिद्धांत अत्यंत कठोर है. जहां अच्छे कर्म व्यक्ति के जीवन को प्रगति की दिशा में ले जाते हैं, वहीं बुरे कर्म उसे पतन की ओर ले जाते हैं. इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपने कर्मों का लेखा-जोखा करें. इस अवसर पर श्री जिनसहस्त्रनाम स्त्रोत्र की शांति धारा का सौभाग्य धर्मचंद पाटोदी, पारसमल पाटोदी परिवार व चमेली देवी, अरुण कुमार, अजय कुमार अजमेरा परिवार को मिला. सभा का संचालन पंकज पांड्या ने किया. अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष नरेंद्र गंगवाल ने किया. इस अवसर पर प्रदीप बाकलीवाल व राकेश काशलीवाल आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है