संवाददाता, पटना टाइटेनियम बेस्ड मैटेरियल शरीर के अंदर काफी समय तक रखने के बाद भी इससे कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है. इसके कारण टाइटेनियम एनोडाइज्ड बेस्ड सेंसर के माध्यम से मनुष्य के शरीर में शुगर, थायरायड, कैंसर सेल्स, ग्लूकोज की गतिविधियों की पल-पल की जानकारी प्राप्त की जा सकती है. एआइ बेस्ड तकनीक होने के कारण यह हमें बीमारियों को लेकर सचेत करता है. ये बातें अमेरिका के प्रो. थॉमस जे वेबस्टर ने कहीं. वे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) पटना में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में वर्चुअल रूप से संबोधित कर रहे थे . उन्हें हाल में ही रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. प्रो थॉमस ने कहा कि यह इंप्लांट शरीर के आंतरिक हिस्सों में फिट किया जा सकता है. जो हमें शरीर के भीतर की गतिविधियों को तुरंत बतायेगा. इससे हमें बीमारी के उपचार में काफी सहायता होगी. वहीं तेजपुर विवि, असम के प्रो. रॉबिन कुमार दत्ता ने कहा कि रसायशास्त्री के जिम्मे काफी कार्य हैं. ऐसे में उन्हें समाज के लिए कुछ नया करने की जरूरत है. इसमें फ्लोराइड, आयरन एवं आर्सेनिक मुक्त जल बनाने को लेकर बेहतर कार्य किया जा सकता है. बार्क मुंबई के प्रो. सीए बेट्टी ने गोल्ड नैनो पार्टिकल्स एप्लिकेशन के माध्यम से इकोलाइ सेल बैक्ट्रिया के कम खर्च में डिटेक्शन को लेकर विस्तार से चर्चा की. इसके अलावा आइआइटी गुवाहाटी के प्रो. केएन गणेशन ने नैनो फील्ड में हो रही नयी गतिविधियों से अवगत कराया. एनआइटी पटना के रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुब्रता दास ने संस्थान में हो रहे पेटेंट व रिसर्च गतिविधियों की भी जानकारी दी. कार्यक्रम में वरीय प्राध्यापक डॉ. मुकेश कुमार चौधरी, आयोजन समिति के कोषाध्यक्ष डॉ. निक्की स्वेता झा, डॉ. संचारी बसु, डॉ. अनिरूद्ध पाल, डॉ. संजीव शर्मा, डॉ. अभय चौधरी, डॉ. अवध किशोर, डॉ. बीएके नायक व अन्य लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम के दूसरे दिन 45 शोध पेपर प्रस्तुत किया गया.इसमें इटली, यूएसए, मैसिक्को, तुर्की आदि से शोधार्थी शामिल हुए.
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