Jhargram News : ओडिशा के सिमलीपाल जंगल की बाघिन ‘जीनत’ झारखंड सीमा के रास्ते बेलपहाड़ी जंगल में प्रवेश कर गयी है. बाघिन जीनत के डर से झाड़ग्राम के बेलपहाड़ी सहित कई इलाके की सड़कें सुनसान हो गयी हैं. ग्रामीणों में दहशत है. वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए लाउडस्पीकर से सतर्कता अभियान चलाया जा रहा है.
मालूम हो कि वर्ष 2018 में वन विभाग की ओर से लालगढ़ जंगल में एक बाघ को पकड़ने की कोशिश की गयी थी. वह बाघ भी सिमलीपाल जंगल से आया था, लेकिन वह बाघ वापस नहीं लौट पाया था. मेदिनीपुर वन प्रमंडल के चांडड़ा इलाके में टांगी, बल्लम और लाठी से शिकारियों ने बाघ को मार डाला था. जीनत के आने से पुराने दिनों की यादें फिर से एक बार ताजा हो गई है.
वन विभाग के मुताबिक, रेडियो कॉलर के ट्रैकर को बेलपहाड़ी के कटुचुआ से सटे जंगल में बाघिन के मूवमेंट का संकेत मिला है. शुक्रवार की रात बाघिन जंगल के रास्ते सिंगाडोबा की ओर बढ़ रही थी. वन विभाग के लिए बाघिन एक चुनौती है. झाड़ग्राम डीएफओ उमर इमाम का कहना है कि अगर शाम के बाद अकेले बाहर जाना जरूरी हुआ, तो रेंज ऑफिसर और बीट ऑफिसर को सूचित करें, वन विभाग की गाड़ी उन्हें ‘एस्कॉर्ट’ करेगी.
इसके बावजूद कुछ पर्यटकों को जंगल से गुजरते हुए सड़क पर वाहन खडे़ करके बेखौफ मोबाइल से सेल्फी लेते नजर आए. जीनत के आने के बाद से क्षेत्र में 24 घंटे निगरानी बढ़ा दी गयी है.
बेलपहाड़ी टूरिज्म एसोसिएशन के प्रवक्ता का कहना है कि क्रिसमस की पूर्व संध्या और क्रिसमस की छुट्टियों की वजह से लोग छुट्टी मनाने आए हैं. ऐसे समय में बाघिन जीनत की मौजूदगी से हम भी परेशानी में हैं. लोगों से अपील की जा रही है कि अफवाह न फैलायें, वन कर्मियों की सलाह मानें.
वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, बाघिन की गतिविधियों को जानने के लिए उच्च क्षमता वाले ड्रोन कैमरे लाये गये हैं. बाघिन के लिए पिंजरे तैयार रखे गये हैं. इसके अलावा एम्बुलेंस व बाघिन के चारे के लिए पालतू मवेशी भी लाये गये है, ताकि बाघिन जीनत को पिंजरे में कैद किया जा सके. वन मंत्री बीरबाहा हांसदा ने कहा, ”क्षेत्र में बाघ-अनुभवी अधिकारियों को भेजा गया है. निगरानी जारी है. सुंदरवन से विशेषज्ञ टीमें भी आ रही हैं.”