खगड़िया. पशुओं को गलाघोंटू व लंगड़ी बीमारी अक्सर परेशान करती है. कभी-कभी तो यह तो बीमारी जानलेवा भी साबित हो जाती है. पशुओ को गलाघोंटू व लंगड़ी बुखार होने पर अगर थोड़ी सी भी लापरवाही बरती जाए तो पशुओं की जान भी चली जाती है. जिससे पशु पालकों को आर्थिक नुकसान होता है. पशुओं की जान तथा पशुपालकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिये पशुपालन विभाग ने टीकाकरण अभियान चलाया है. जानकारी के मुताबिक पशुपालन विभाग ने लंगड़ी व गलाघोंटू बीमारी से पशुओं को बचाने के लिये पशु स्वास्थ्य रक्षा पखवाड़ा आरंभ है. 30 दिसम्बर तक पशु कर्मी गांव-गांव जाकर पशुओं को लंगड़ी बुखार एवं गलाघोंटू बीमारी का निःशुल्क टीका लगाएंगे. टीकाकरण के बाद पशु इन दोनों बीमारीयों के खतरे से मुक्त हो जाएंगे.
टीकाकरण के नोडल पदाधिकारी डॉ० मिथलेश कुमार बताते हैं कि लंगड़ी बुखार एवं गलाघोंटू दोनों अलग-अलग रोग है. यह जीवाणु जनित एवं घातक रोग है. लंगड़ी बुखार 10 माह से 2 वर्ष की उम्र वाले पशुओं को अधिक होती है. लंगड़ी बीमारी में पशु को तेज बुखार आ जाता है. जांघों के उपर कंधे या गर्दन पर दर्द एवं सूजन हो जाता है. पहले पशु लंगड़ाकर चलती है. अगर इस बीमारी को पशुपालक नजरअंदाज करते हैं या बीमार पशु समुचित इलाज नहीं कराते हैं सूजन बड़े घाव में बदल जाते हैं. जिससे पशु की मौत भी हो जाती है. डॉ० मिथलेश की माने तो गलाघोंटू लंगड़ी बुखार की तरह खतरनाक बीमारी है. इस बीमारी में तेज बुखार के साथ-साथ गर्दन एवं मुंह पर सूजन आ जाता है. मुंह से तार व नाक से गाढ़ा श्राव निकलने लगता है. अगर शुरुआती दौर में इस बीमारी का इलाज नहीं कराया गया तो बाद में पशुओं को सांस लेने में परेशानी होने लगती है. कहा कि अगर पशु का सांस ही रुक जाए तो वो कितने दिनों तक जिंदा रह पाएगा.
3.28 लाख पशुओं को लगेंगे टीके.
30 दिसंबर तक जिले में चलने वाले पशु रक्षा कार्यक्रम के तहत 3 लाख 28 हजार 700 पशुओं को उक्त बीमारी से बचाव के टीके लगाए जाएंगे. सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक पशुओं को टीका लगाया जाएगा. सातों प्रखण्डों में सौ से अधिक भैक्सीनेटर को टीकाकरण कार्य में लगाया गया है.कहते हैं अधिकारी.
जिले में पशु स्वास्थ्य रक्षा पखवारा आरंभ है. 30 दिसंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत जिले के 3.28 लाख गाय एवं भैंस को होने वाले लंगड़ी बुखार एवं गलाघोंटू बीमारी से बचाव की टीके लगाए जाएंगे. पशु कर्मी गांव-गांव जाकर छह महीने से उम्र के पशुओं को टीके लगा रहे हैं. यह दोनों बीमारी पशुओं को परेशान व नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है. पशुपालकों भी जागरुक रहें,अपने-अपने पशुओं को जरुर टीके लगवाएं.डाॅ० मिथलेश कुमार, नोडल पदाधिकारी.
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