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अनुमति के बिना दामाद के घर में रहना उसके साथ क्रूरता : हाइकोर्ट

हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता (पति) ने प्रतिवादी (पत्नी) के खिलाफ मानसिक क्रूरता का पर्याप्त व मजबूत मामला दर्ज कराया है.

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने पत्नी की मित्र और उसके परिवार की लगातार मौजूदगी तथा वैवाहिक क्रूरता का झूठा मामला दर्ज कराने के आधार पर एक व्यक्ति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शख्स के पक्ष में तलाक की अनुमति देने से इंकार करने संबंधी निचली अदालत के फैसले को विकृत और त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया. हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अपीलकर्ता (पति) ने प्रतिवादी (पत्नी) के खिलाफ मानसिक क्रूरता का पर्याप्त व मजबूत मामला दर्ज कराया है. इस आधार पर तलाक देने को उचित ठहराया जा सकता है. पीठ में न्यायमूर्ति उदय कुमार भी थे. पीठ ने क्रूरता के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का आदेश दे दिया. कोर्ट ने कहा कि पूर्व मेदिनीपुर जिले के कोलाघाट में व्यक्ति के सरकारी आवास में उसकी आपत्ति और असहजता के बावजूद पत्नी की महिला मित्र और उसके परिवार के अन्य सदस्यों की उपस्थिति रिकॉर्ड से प्रमाणित होती है. प्रतिवादी की मित्र और परिवार को पति की इच्छा के विरुद्ध उसके क्वार्टर में लगातार लंबे समय तक रखना, कभी-कभी तो स्वयं प्रतिवादी पत्नी के वहां न होने को भी निश्चित रूप से क्रूरता माना जा सकता है. पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी अधिकतर समय अपनी महिला मित्र के साथ बिताती थी, जो अपने आप में क्रूरता का कृत्य है. इस जोड़े की शादी 15 दिसंबर 2005 को हुई थी. पति ने 25 सितंबर 2008 को तलाक का मुकदमा दायर किया था और उसी वर्ष 27 अक्टूबर को पत्नी ने पति और उसके परिवार के खिलाफ नवद्वीप पुलिस थाने में पंजीकृत डाक से शिकायत भेजी थी.

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