Land Reform: देश के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को संपत्ति मालिक का अधिकार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को स्वामित्व योजना शुरू की थी. इस योजना का मकसद ड्रोन से जमीन का सर्वे करना और जीआईएस तकनीक के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आबाद (आबादी) भूमि का सीमांकन करना है. भूमि के मालिकाना हक सुनिश्चित होने से जमीन विवाद में कमी आने और ग्राम-स्तरीय योजना बनाने में मदद मिलेगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को 10 राज्यों के 50 हजार गांवों के 58 लाख लोगों को स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड वितरित करेंगे. छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अलावा दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को यह कार्ड दिया जायेगा.
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री चुनिंदा लाभार्थियों से संवाद करेंगे और फिर देश को संबोधित करेंगे. इस दौरान विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और पंचायत के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह कार्यक्रम वर्चुअली आयोजित होगा. स्वामित्व योजना का मकसद ग्रामीण भारत के लिए एक एकीकृत संपत्ति सत्यापन समाधान प्रदान करना है. ग्रामीण क्षेत्रों में आबाद भूमि का सीमांकन पंचायती राज मंत्रालय, राज्य राजस्व विभाग, राज्य पंचायती राज विभाग और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के सहयोग से ड्रोन तकनीक के उपयोग से किया जा रहा है.
क्या है योजना की मौजूदा स्थिति
देश के 3.17 लाख गांवों में जमीन का ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसमें लक्षद्वीप, लद्दाख, दिल्ली, दादरा और नगर हवेली, और दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेशों, और मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ राज्यों में ड्रोन सर्वेक्षण कार्य का काम पूरा हो चुका है. हरियाणा, उत्तराखंड, पुडुचेरी, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गोवा, और त्रिपुरा के सभी आबाद गांवों के संपत्ति कार्ड जारी किए जा चुके हैं. मौजूदा समय में देश के 1.49 लाख गांव के 2.19 करोड़ प्रॉपर्टी कार्ड तैयार किया जा चुका है. अगर राज्यों की बात करें तो झारखंड, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान जैसे राज्यों में एक भी प्रॉपर्टी कार्ड तैयार नहीं हुआ है.
वहीं उत्तर प्रदेश में 93 लाख, महाराष्ट्र में 22 लाख, मध्य प्रदेश में 32 लाख से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड बनाए जा चुके हैं. इस योजना का मकसद ग्रामीण योजना के लिए सटीक आबादी क्षेत्र भूमि अभिलेखों का निर्माण और संपत्ति से संबंधित विवादों को कम करना, ग्रामीण भारत के नागरिकों को अपनी संपत्ति का उपयोग ऋण और अन्य वित्तीय लाभों के लिए वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में करने में सक्षम बनाकर वित्तीय स्थिरता लाना, संपत्ति कर का निर्धारण, जो उन राज्यों में सीधे ग्राम पंचायतों को हासिल होगा. जीआईएस मानचित्रों का निर्माण कोई भी विभाग कर सकेगा. जीआईएस मानचित्रों का उपयोग करके बेहतर गुणवत्ता वाली ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने में मददगार साबित होगी.