Jamshedpur news.
पूर्वी सिंहभूम जिले में रबी की फसल के लिए काम शुरू हो चुका है. इसके तहत इस बार दलहन के जरिये जिले में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल शुरू की गयी है. आदिवासी क्षेत्रों में दलहन विशेष रूप से अरहर और उड़द दाल की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इस पहल का मकसद उत्पादन और किसानों की आय को बढ़ावा देना है. यह पहल गैर-परंपरागत दाल उत्पादक क्षेत्रों पर केंद्रित है. यह एक प्रायोगिक परियोजना है. यह सफल होने पर पूरे जिले में विस्तारित किया जा सकता है. इससे देश में दलहन की आयात पर निर्भरता कम हो सकती है. इसके तहत हाइब्रिड बीज का भी वितरण किया जा रहा है. जिले में अब तक धान की ही खेती पर लोग निर्भर होते थे या सब्जियां अधिक होती थी. लेकिन अब दलहन पर फोकस होकर भी काम हो रहा है.रबी की फसल में 16200 हेक्टेयर का लक्ष्य
दलहन की बात की जाये, तो इस बार रबी की फसल में 16200 हेक्टेयर का लक्ष्य है, जिसके विपरीत अब तक 119 हेक्टेयर में इसकी खेती हो चुकी है. कुल लक्ष्य रबी फसल का 45690 हेक्टेयर है, जिसके विपरीत अब तक 241 हेक्टेयर भूमि पर आच्छादन हो चुका है. इसको बढ़ावा देने के लिए दलहन के तहत टीआरएफए के तहत 585 लाभुकों में 36.25 क्विंटल मसूर दाल के बीज का वितरण किया जा रहा है. चना दाल का बीज भी 217.50 क्विंटल बीज 576 लाभुकों में बांटा जा रहा है. मूंग दाल का 36.25 क्विंटल बीज का वितरण होगा. मूंग बीज का बीज 50 क्विंटल, मटर का 50 क्विंटल बीज का वितरण किया जायेगा. नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन (एनएफएसएम) के तहत 174 लाभुकों में 16.25 क्विंटल मसूर के बीज का वितरण किया जायेगा. 52 लाभुकों में चना के 12 क्विंटल बीज का वितरण किया जायेगा. बीएफवीवाइ के तहत जिले में 530 लाभुकों में 62.50 क्विंटल मसूर के दाल बीज का वितरण किया जायेगा. 12.50 क्विंटल मूंग का बीज वितरित किया जायेगा. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि पहले से हालात बेहतर हुए हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है