किशनगंज. आल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) ने कोविड-19 महामारी के दौरान जारी अधिसूचना जीएसआर 220 (ई) के व्यापक स्तर पर हो रहे दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की है. किशनगंज केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव जंगी प्रसाद दास ने बयान जारी कर कहा कि महामारी के दौरान यह अधिसूचना जारी की गयी थी. वर्तमान में इससे दवाओं की अनियमित ऑनलाइन बिक्री को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे जन स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जारी की गई यह अधिसूचना विशेष परिस्थितियों में स्थानीय दवा विक्रेताओं को आपातकालीन आधार पर दवाएं घर-घर पहुंचाने की सुविधा देने के लिए लाई गई थी. लेकिन वर्तमान में कई डिजिटल प्लेटफॉर्म इस अधिसूचना का दुरुपयोग कर घर-घर दवाईयां पहुंचा रहे हैं. ऑनलाइन दवाइयां उपलब्ध कराने वाले डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से बिना किसी वैध प्रि्क्रिरप्शन के दवाओं की बिक्री हो रही है,जो रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर), नशीली दवाओं के दुरुपयोग और स्व-चिकित्सा जैसी समस्याओं को जन्म दे रही है. ये ऑनलाइन दवाइयां उपलब्ध कराने वाले प्लेटफॉर्म का ध्यान केवल मुनाफे पर केंद्रित हैं.ऐसे में दवाओं की गुणवत्ता एंव नियामक सुरक्षा से संबंधित उपायों की निरंतर अनदेखी हो रही हैं.श्री दास ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह जनता के स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है. महामारी के आपातकालीन चरण के खत्म हो जाने के कारण जीएसआर 220 (ई) अधिसूचना को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, दवाओं की बिक्री और वितरण के लिए प्रि्क्रिरप्शन और अन्य नियामक प्रावधानों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दवाओं की अवैध बिक्री को पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाए. बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार ने दूरभाष पर प्रभात खबर को बताया कि महामारी के दौरान जारी अधिसूचना का उद्देश्य स्थानीय दवा विक्रेताओं के माध्यम से आपातकालीन स्थितियों में दवा की डिलेवरी करना था, लेकिन अब इसका दुरुपयोग किया जा रहा है.जिसे तुरंत बंद किया जाए.
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