रांची. वाणिज्य कर विभाग की राजस्व वृद्धि दर में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. इसका मुख्य कारण वसूली प्रक्रिया को मॉनिटरिंग करने के लिए बने पदों का खाली रहना है. कर वसूली और मॉनिटरिंग में संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है. लेकिन, विभाग में 44 संयुक्त आयुक्त के सृजित पदों के मुकाबले सिर्फ 13 ही कार्यरत हैं. इससे हर संयुक्त आयुक्त कई अंचलों के प्रभार में है.
वाणिज्यकर विभाग के माध्यम से होती है राज्य के कुल राजस्व के 70 प्रतिशत से अधिक की वसूली
वाणिज्यकर विभाग राज्य से राजस्व स्रोतों के सबसे महत्वपूर्ण विभाग है. राज्य के कुल राजस्व के 70 प्रतिशत से अधिक की वसूली वाणिज्यकर विभाग के माध्यम से होती है. विभाग के राजस्व वसूली में हर साल वृद्धि हुई है. लेकिन, वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की जा रही है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में वाणिज्य कर विभाग ने कुल 11368.00 करोड़ रुपये की वसूली की थी. इसके मुकाबले वित्तीय वर्ष 2018-19 में 13.94% की वृद्धि दर के साथ 12953.09 करोड़ रुपये की वसूली हुई. वित्तीय वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सबसे ज्यादा 22.31% की वृद्धि दर्ज की गयी, लेकिन इसके बाद से राजस्व वृद्धि दर्ज में भारी गिरावट दर्ज की गयी. पिछले पांच वर्षों के दौरान वृद्धि दर से सबसे ज्यादा गिरावट 2023-24 में दर्ज की गयी. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान नवंबर 2023 के मुकाबले नवंबर 24 तक सिर्फ 5.33% की वृद्धि दर्ज की गयी है.
राजस्व वसूली और व्यापारियों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग हो रही प्रभावित
वाणिज्यकर विभाग आयुक्त सहित कई पद अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं. जीएसटी में सभी शक्तियां वाणिज्यकर आयुक्त के पास हैं. हालांकि, वर्तमान आयुक्त भी दो पदों के प्रभार में हैं. उनके पास वित्त विभाग के विशेष सचिव का प्रभार भी है. विभाग में वित्त सेवा के विशेष आयुक्त और अपर आयुक्त के सभी पद खाली हैं. कर वसूली और मॉनिटरिंग के नजरिये से संयुक्त आयुक्त का पद काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन, संयुक्त आयुक्त के 44 पदों के मुकाबले सिर्फ 13 संयुक्त आयुक्त ही कार्यरत हैं. खाली पड़े पदों की वजह से संयुक्त आयुक्तों के पास भी कई अंचलों का प्रभार है.
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