Bokaro News : सीपी सिंह, बोकारो. झारखंड की पहचान यहां के प्राकृतिक धरोहर से है. यहां के जंगल से है. जंगल के दृष्टिकोण से झारखंड के लिए अच्छी खबर है. 2021-23 के बीच झारखंड के जंगल में 44.64 वर्ग किमी क्षेत्र का इजाफा हुआ है. 21 दिसंबर को प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आइएसएफआर) 2023 की माने तो झारखंड में जंगल क्षेत्रफल 0.5 प्रतिशत जंगल की वृद्धि हुई है. झारखंड में 2021 में वन क्षेत्र 23,721.14 वर्ग किलोमीटर था, जो बढ़कर 2023 में 23,765.78 वर्ग किलोमीटर हो गया. अब राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से 29.81 प्रतिशत हिस्सा वन क्षेत्र है. पड़ोसी राज्यों की तुलना में झारखंड की वृद्धि मामूली है. पश्चिम बंगाल में केवल 0.46 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि देखी गई, जबकि छत्तीसगढ़ (95.15 वर्ग किलोमीटर), ओडिशा (277.61 वर्ग किलोमीटर) व बिहार (151.66 वर्ग किलोमीटर) में बेहतर प्रगति हुई.
रिपोर्ट की मानें तो एक ओर जहां झारखंड में जंगल में इजाफा देखा गया है. वहीं कुछ नकारात्मक संकेत भी मिले हैं. जहां एक ओर राज्य के जंगल में 44.64 वर्ग किमी की वृद्धि दर्ज हुई है. लेकिन एक ओर मध्यम घने वन (एमडीएफ) में 47.92 वर्ग किमी की कमी आयी है. हालांकि बहुत घने वन (वीडीएफ) क्षेत्रों में 34.3 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है. खुले वन क्षेत्र में भी 58.26 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि देखी गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में कुल वन क्षेत्र अब 23,765.78 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 2,635.35 वर्ग किलोमीटर बहुत घना वन क्षेत्र, 9,640.99 वर्ग किलोमीटर मध्यम घना वन क्षेत्र और 11,489.44 वर्ग किलोमीटर खुला वन क्षेत्र शामिल है.बोकारो में जंगल मानक से कम :
बोकारो जिला में मात्र 19.85 प्रतिशत क्षेत्र वनक्षेत्र है. जबकि, मानक 33 प्रतिशत का है. भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023 की माने तो जिला में 572.41 वर्ग किमी वन क्षेत्र है. भारतीय वन सर्वे 2021 की रिपोर्ट की माने तो बोकारो जिला के 576.00 वर्ग किमी क्षेत्र में वन था. जबकि 2019 सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिला में 573.55 वर्ग किमी जंगल क्षेत्र था. वहीं 2017 सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिला का 570 वर्ग किमी क्षेत्र जंगल था. बोकारो जिला में बहुत घने वन (वीडीएफ) क्षेत्र 59.04 वर्ग किमी है. वहीं मध्यम घने वन क्षेत्र 231.40 वर्ग किमी है. वहीं खुला क्षेत्र का जंगल 281.97 वर्ग किमी है. रिपोर्ट में बोकारो जिला के लिए खुशी का कारण भी मिला है. यह खुशी जंगल में लगने वाली आग में कमी के कारण मिली है. बोकारो जिला में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 458 आग जंगल में लगी थी. जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा कम होकर 242 हो गयी. जंगल में आग की कमी के का फायदा किसी ना किसी रूप में पर्यावरण को मिला है. जिला में जंगल में आयी कमी का कारण विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चरल योजना के लिए पेड़-पौधा में कटाई को माना जा रहा है.जिला में 06 ऑक्सीजन जोन :
जंगल को प्राकृतिक का फेफड़ा माना जाता है. साथ ही ऑक्सजीन जोन भी. जिला के 06 जंगल ऑक्सीजन जोन का काम करते हैं. गोमिया प्रखंड का लुगू पहाड़, चंद्रपुरा प्रखंड का सोनाडाली पहाड़ी क्षेत्र नावाडीह प्रखंड का उपरघाट वन क्षेत्र पेटरवार प्रखंड का चरगी, कसमान प्रखंड का हिसिम केदलाव व जरीडीह प्रखंड का भस्की वन क्षेत्र ऑक्सीजन जोन माने जाते हैं. इन जंगल में भारती मात्रा में महुआ, पॉली, लाइकेन, पीपल व नीम के पेड़ हैं, जो भारी मात्रा में ऑक्सीजन देते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है