संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य के स्कूलों में शिक्षक व गैर-शिक्षण पदों पर नियुक्ति में कथित अनियमितताओं से संबंधित केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के एक मामले में मंगलवार को राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत पांच आरोपियों की जमानत याचिकाकाएं खारिज कर दीं. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने पार्थ चटर्जी के अलावा, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के पूर्व अध्यक्ष सुबीरेश भट्टाचार्य, राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की सलाहकार समिति के पूर्व अध्यक्ष एसपी सिन्हा और एसएससी के पूर्व सचिव अशोक साहा की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं.इससे पहले, हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे की खंडपीठ ने पांचों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर अलग-अलग फैसले सुनाये थे. न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी ने सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं स्वीकार कर लीं, जबकि न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने याचिकाओं को खारिज कर दिया था. दोनों जजों में मतभेद के कारण मामला मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के पास गया था. मुख्य न्यायाधीश ने मामले को न्यायमूर्ति चक्रवर्ती की एकल पीठ को भेज दिया था.
न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने अपने फैसले में न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे के आदेश से सहमति जताते हुए सभी पांच आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं. उन्होंने रेखांकित किया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और अगर साबित हो जाते हैं तो इससे राज्य की शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है. न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती ने रेखांकित किया कि अभियोजन की मंजूरी देने में देरी को लेकर राज्य की ओर से स्पष्टीकरण न दिया गया जबकि राज्यपाल ने डॉ पार्थ चटर्जी के मामले में पहले ही मंजूरी दे दी थी. उन्होंने टिप्पणी की कि अन्य आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी का इंतजार करते हुए उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को निर्णय के लिए समबद्ध रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने कहा कि बार-बार आदेश देने के बावजूद, अन्य आरोपियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि यह राज्य का दायित्व है कि वह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से काम करे, सहयोग सुनिश्चित करे ताकि सच्चाई सामने आये.गौरतलब है कि पार्थ चटर्जी ने 2011 से 2021 तक शिक्षा विभाग का कार्यभार संभाला था. उन्होंने उन अन्य पूर्व अधिकारियों के साथ उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी, जो स्कूलों में भर्तियों में अनियमितता मामले में लगभग दो साल से जेल में हैं.
क्या कहा आरोपियों के वकीलों ने
आरोपियों की जमानत अर्जी पर उनका पक्ष रखते हुए वकीलों ने दलील दी कि मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है, जबकि उनके मुवक्किल दो साल से जेल में हैं. सीबीआइ ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि कथित स्कूल नियुक्ति घोटाले में पांचों के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन भर्तियों में अनियमितताओं की समग्र जांच अभी जारी है. केंद्रीय एजेंसी के वकील ने दावा किया कि इस स्तर पर उन्हें जमानत दिये जाने से जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि आरोपी प्रभावशाली हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है