मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में खोरठा भाषा साहित्य व संस्कृति विकास परिषद के तत्वावधान में खोरठा के अग्रदूत श्रीनिवासन पानुरी की जयंती मनायी गयी. उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर लोगों ने श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस अवसर पर धनंजय प्रसाद ने कहा कि पानुरी जी खोरठा भाषा व साहित्य के सफल साधक थे. आर्थिक तंगी के बावजूद भी वो साहित्य साधना में अनवरत लगे रहे. मुफलिसी कभी भी उनकी साहित्य साधना के आड़े नहीं आयी. उन्होंने संघर्ष करते हुए 40 वर्षों की साहित्यिक जीवन में विभिन्न विधाओं की करीब चालीस पुस्तकों की रचना की. खोरठा भाषा व साहित्य को समृद्ध बनाया. उनके योगदान से भाषा व साहित्य आज अपने मुकाम पर है. पानुरी जी ने आमजन के दुःख-दर्द को अपने साहित्य का आधार बनाया. आज खोरठा व संस्कृति प्रगति पथ पर अग्रसर है. ये पानुरी जी के संघर्ष के परिणामस्वरूप है.
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