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कालाजार उन्मूलन मामले में अररिया को मिला सम्मान

समय पूर्व हासिल हुआ उन्मूलन संबंधी लक्ष्य

राज्यस्तरीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री ने डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार को किया सम्मानित13- प्रतिनिधि, अररिया

जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिये जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह को राज्यस्तर पर सम्मानित किया गया है. बीते मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य समिति व स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्थाओं की ओर से राजधानी पटना में आयोजित डोजियर प्रिपरेशन कार्यशाला में डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह को कालाजार उन्मूलन के क्षेत्र में उनकी अनुकरणीय प्रतिबद्धता व उत्कृष्ट प्रयासों के लिए स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार मंगल पांडेय ने मोमेंटो व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. भारत सरकार द्वारा वर्ष 2026 तक कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है. मामले में बिहार के अन्य जिलों के साथ अररिया ने 2022 में ही पूर्ण उन्मूलन संबंधी लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा. इसके बाद लगातार 03 सालों तक इस स्थिति को बरकरार रखने में भी अररिया कामयाब रहा. कालाजार एलिमिनेशन फेज में प्रति 10 हजार आबादी पर कालाजार मरीजों की संख्या को 01 से कम करने का लक्ष्य था. मामले में अररिया की उपलब्धि 0.1 के करीब है. वहीं एक समय जहां जिले के सभी 09 प्रखंड कालाजार प्रभावित अति संवेदनशील इलाकों की सूची में शामिल थे. वहीं फिलहाल जिले के सभी प्रखंड इससे बाहर आ चुके हैं.

अररिया पूरे देश के लिए बना नजीर

कालाजार उन्मूलन संबंधी प्रयासों के लिये अररिया पूरे देश के लिये एक नजीर साबित हुआ है. जिले में रोग नियंत्रण को लेकर किये गये विशिष्ट प्रयास बाद में पूरे देश के लिये रोल मॉडल साबित हुआ. छिड़काव कर्मियों के लिये विशिष्ट परिधान, हमारा लक्ष्य कालाजार मुक्त अभियान जैसे स्लोगन व उनका मनोबल व उत्साहवर्धन को लेकर किये गये प्रयास बाद में राज्य व देश के अन्य जिलों द्वारा इसे हाथों-हाथ अपनाया गया. राज्यस्तरीय कार्यक्रम में जिले के इन प्रयासों को प्रदर्शित भी किया गया. साथ ही इन प्रयासों के लिये जिले की विशेष रूप से सराहना की गयी. गौरतलब है कि जिले में कालाजार पहले जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिये बड़ी चुनौती थी. वहीं इसका प्रभाव अब बेहद सीमित हो चुका है. वर्ष 2007 में जिले में कालाजार मरीजों की संख्या 04 हजार के करीब था. हर वर्ष कालाजार की वजह से दर्जनों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती थी. वहीं इस वर्ष अब तक जिले में कालाजार के महज 10 मरीज ही मिले हैं.

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