गया. शहर को स्वच्छ व सुंदर रखने के साथ मूलभूत सुविधाओं को लोगों के लिए उपलब्ध कराना नगर निगम की जिम्मेदारी होती है. लेकिन, वर्ष 2024 शहर व निगम दोनों के लिए ही कोई खास नहीं रहा है. पूरा वर्ष अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप व आश्वासनों के बीच ही बीत गया. योजनाओं को लेकर कोई काम नहीं किया जा सका. जनप्रतिनिधि काम नहीं होने का दोष अधिकारियों पर डालते रहे, तो अधिकारियों की ओर से बोर्ड में काम नहीं होने देने की बात कही जाती रही. इस बार मेयर-डिप्टी मेयर का डायरेक्ट चुनाव लोगों ने किया. चुनाव के समय तरह-तरह के वादे किये गये. अब दो वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई काम शहर में ऐसा नहीं हो सका है. हर बोर्ड व स्टेंडिंग कमेटी की बैठक में तरह-तरह की योजनाओं की घोषणा की जाती रही, पर काम नहीं हुआ.
काम पूरा होने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ
ब्रह्मसत सरोवर में लाइट एंड साउंड सिस्टम : योजना का उद्घाटन दो वर्ष पहले किया गया. इसमें करीब छह करोड़ रुपये खर्च किये गये, लेकिन लोगों के लिए इसे नहीं चालू किया जा सका. हर बार सिर्फ इसमें आश्वासन ही दिया जाता है. दो दिन पहले बोर्ड की बैठक में एक बार फिर इसे चालू करने की घोषणा की गयी.विष्णुपद स्थित श्मशान घाट में प्रदूषण रहित शवदाह की व्यवस्था : इसके लिए निगम की ओर से छह करोड़ रुपये खर्च कर सौंदर्यीकरण के साथ क्रिमिएशन मशीन लगायी गयी. लेकिन, इसके चालू होने के रोड़े को अब तक निगम की ओर से दूर नहीं किया जा सका. शव प्रदूषण रहित जलने की प्रक्रिया को चालू नहीं किया जा सका. खुले में ही शवदाह किया जा रहा है.शहर में कई जगहों पर पार्क का निर्माण :
निगम की ओर से चिल्ड्रेन पार्क, ओपन जिम, पार्क आदि का निर्माण करोड़ों रुपये खर्च कर कई जगहों पर किया गया, लेकिन एक भी जगह पर यह पार्क अब तक व्यवस्थित नहीं हो सका है.एनिमल क्रिमिएशन मशीन नहीं सका है अब तक शुरू :
नैली के कचरा प्लांट के एक कोना में एनिमल क्रिमिएशन मशीन लगायी गयी. इसे अब तक चालू नहीं किया जा सका. इतना ही नहीं मशीन के पास चालू करने की क्या बात हो यहां लाइट तक की व्यवस्था नहीं हो सकी है. ऐसी स्थिति में इसके चालू होने पर संदेह ही दिखता है.यहां हुई है बदनामी
नगर निगम की डिप्टी मेयर चिंता देवी अपनी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर केदारनाथ मार्केट में सब्जी बेचने का काम शुरू कर दिया. इसके बाद यहां पर निगम की काफी बदनामी हुई है.20 रुपये एक सीटी को यहां पर 401 रुपये में खरीदने की बात उजागर होने पर इसकी चर्चा भी लोगों के बीच खूब रही. उस वक्त के नगर आयुक्त ने जांच की बात कही. लेकिन, बाद में सब कुछ मामला शांत कर दिया गया.अधिकारी व जनप्रतिनिधि के बीच यहां पर विभाग में तरह-तरह के पत्र एक दूसरे के खिलाफ भेजे गये. लोकल विधायक, जिले के अधिकारी दोनों के बीच तनातनी को समाप्त करने का हरसंभव प्रयास किया. लेकिन, तनाव इतना बढ़ा कि विभाग के अधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ा. जनप्रतिनिधि दो गुट में बंट कर रह गये.
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