रांची (विशेष संवाददाता). डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) में राज्य सरकार द्वारा लाइब्रेरी अपग्रेड करने के लिए छह माह पूर्व लगभग एक करोड़ 20 लाख रुपये दिये, लेकिन अब तक पीजी के विद्यार्थियों को नयी किताबें नहीं मिल पायी हैं. जबकि विवि द्वारा प्रत्येक विद्यार्थी से लाइब्रेरी मद में 100 से 150 रुपये शुल्क लिये जाते हैं.
वर्ष 2017 में विवि बनने के बाद वर्ष 2018 में विवि में कई लाइब्रेरी से किताबें आयीं, लेकिन उसके बाद से 28 पीजी विभाग की लाइब्रेरी में किताबें नहीं आयी हैं. विवि में वर्तमान में पारंपरिक विषयों में लगभग आठ हजार तथा वोकेशनल कोर्स (एमबीए/एमसीए सहित) लगभग आठ हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. विद्यार्थी नयी शिक्षा नीति के तहत कई विषयों में अद्यतन किताबों की मांग कर रहे हैं. विवि में अध्यनरत विद्यार्थियों का कहना है कि पीजी की विभागीय लाइब्रेरी में रखी गयी जो भी पुस्तकें हैं, उनके लिए वह प्रर्याप्त नहीं हैं. विद्यार्थियों ने लाइब्रेरी में स्नातक स्तरीय पुस्तकें भी प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने की मांग की है.विवि में केंद्रीय पुस्तकालय नहीं
डीएसपीएयू में अब तक केंद्रीय पुस्तकालय नहीं है. कुलपति ने पूर्व में घोषणा की थी कि विवि का अपना केंद्रीय पुस्तकालय भी होगा. लेकिन अब तक पुस्तकालय नहीं बन पाया है. विवि में अगले वर्ष नैक टीम का विजिट भी है. ऐसे में केंद्रीय पुस्तकालय का नहीं होना विवि के लिए नुकसान हो सकता है. दूसरी ओर मोरहाबादी में रांची विवि का अपना केंद्रीय पुस्तकालय है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है