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पशुधन गणना में नहीं मिल रहा सहयोग

इसलिए अब उन लोगों ने पालतू पशु मालिकों के विरोध या अनिच्छा को रोकने के लिए एनजीओ और शहरी नगर निकायों से मदद मांगी है.

कोलकाता. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को अपने-अपने क्षेत्रों में पशुधन की गणना करने का निर्देश दिया है. केंद्र सरकार के निर्देश पर पश्चिम बंगाल में यह प्रक्रिया शुरू हुई है. देशभर में 21वीं पशुधन गणना शुरू हुई है और इसी क्रम में पशु संसाधन विकास विभाग ने पालतू पशुओं पर सर्वेक्षण किया है. लेकिन आरोप है कि लोगों के असहयोग से पशुधन विभाग अब तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा नहीं कर पाया है. सर्वेक्षण करने में चुनौतियों का सामना कर रहे अधिकारियों के अनुसार, कोलकाता और उपनगरों में कई पालतू पशु मालिक जानकारी छिपा रहे हैं. इसलिए अब उन लोगों ने पालतू पशु मालिकों के विरोध या अनिच्छा को रोकने के लिए एनजीओ और शहरी नगर निकायों से मदद मांगी है. अधिकारियों के अनुसार, कई लोग अपने पालतू जानवरों, खासकर नस्ल के कुत्तों के स्वामित्व का खुलासा करने से हिचक रहे हैं, क्योंकि उन्हें उन पर कोई अतिरिक्त कर बोझ लगने का डर है.

कई को डर है कि उनके पास जो मंहगे या बैन नस्ल के पालतू हैं, उन्हें लेकर वे मुसीबत में पड़ सकते हैं. गौरतलब है कि सर्वेक्षण एक सितंबर को शुरू हुआ है. यह हर पांच साल में केंद्र सरकार सभी राज्यों में करता है. इसमें अन्य पालतू जानवरों के साथ पालतू कुत्ते और बिल्लियां भी शामिल हैं.

पश्चिम बंगाल पशुधन विकास निगम ने केएमसी सहित अन्य निकायों को लिखा पत्र

पश्चिम बंगाल पशुधन विकास निगम के प्रबंध निदेशक उत्पल कुमार कर्माकर ने कहा कि हालांकि सर्वेक्षण 31 दिसंबर को बंगाल में समाप्त होना था, लेकिन समय सीमा फरवरी तक बढ़ा दी गयी है. उन्होंने बताया कि निगम की ओर से इसे लेकर कोलकाता नगर निगम और विधाननगर नगर निगम सहित अन्य स्थानीय नगर निकायों को पत्र लिखा गया है और इस सर्वेक्षण में मदद करने की अपील की गयी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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